pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

ठग महाशय

4.2
611

एक दिन दोपहर के समय एक बिना नंबर प्लेट की कार गाँव के बस स्टैंड पर रुकी। उसमें से एक व्यक्ति बाहर निकलकर नाई की दुकान में गया वहाँ उसने अपनी हजामत करवाई। अब खुद दूसरे की हजामत करने के लिए गाँव के ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
अभिनन्दन

हिन्दी विषय में स्नातक अभी व्यापार के साथ लेखन कार्य

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Richa Mishra
    25 जुन 2021
    बेहतरीन रचना! सही कहा गया है कि धन की तीन गति होती हैं। या तो व्यक्ति अपने ऊपर खर्च कर ले, या तो दान-पुण्य में लगा दे। यदि ये दोनों काम नहीं किए, तो आपका धन ठलुए खाते हैं। बेचारी माताजी! न माया मिली न राम।
  • author
    kamal soni
    07 जुन 2019
    हास्य व्यंग्य का अच्छा संगम
  • author
    rishabh dev
    18 जुन 2019
    जोरदार किस्सा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Richa Mishra
    25 जुन 2021
    बेहतरीन रचना! सही कहा गया है कि धन की तीन गति होती हैं। या तो व्यक्ति अपने ऊपर खर्च कर ले, या तो दान-पुण्य में लगा दे। यदि ये दोनों काम नहीं किए, तो आपका धन ठलुए खाते हैं। बेचारी माताजी! न माया मिली न राम।
  • author
    kamal soni
    07 जुन 2019
    हास्य व्यंग्य का अच्छा संगम
  • author
    rishabh dev
    18 जुन 2019
    जोरदार किस्सा