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झाड़ू वाला

4.5
12745

“ 45 साल हो गये एक ही सड़क पर झाड़ू लगाते लगाते । एक ही रास्ता , एक ही समय , बिनानागा , लगातार सुबह शाम झाड़ू लगाता हूँ मैं । पूरी ईमानदारी के साथ । आने जाना वाला कोइ कह नही सकता कि ये सड़क उसने कभी ...

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लेखक के बारे में
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नीरू गुलाटी

बेहद सुरूचिपूर्ण व कलात्मक अभिरूचियों से सम्पन्न महिला । डी ए वी श्रेष्ठा विहार दिल्ली मे अध्यापिका प्रकाशित रचनायें .. उपन्यास ... तेरे बिन कहानी संग्रह..कहानियां जो कही न गई ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Latika Batra "Batra"
    21 नवम्बर 2018
    ये कहानी समाज के एक उपेक्षित समाज के व्यक्ति की मनोदश या कहें कि मनोव्यथा का बेहद सटीक चित्रण करने के साथ ही स्वछता जैसे सामाजिक मुद्दे पर भी प्रहार करती है । समाज के हाशिये पर बैठे वर्ग के प्रति बाकी समाज की क्या सोच है ,.ये बात भी कहानी अपने कलेवर मे समेटे है
  • author
    रविन्द्र "रवि"
    02 मार्च 2019
    शिर्षक ही काफी था पसन्द आने के लिए।पूरी रचना ने उसपे चार चांद लगा दिया
  • author
    19 दिसम्बर 2018
    बहुत बढ़िया लेखन शैली। कृपया आप मेरी कहानियां पढ़कर मेरा मार्गदर्शन कीजिये।
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    Latika Batra "Batra"
    21 नवम्बर 2018
    ये कहानी समाज के एक उपेक्षित समाज के व्यक्ति की मनोदश या कहें कि मनोव्यथा का बेहद सटीक चित्रण करने के साथ ही स्वछता जैसे सामाजिक मुद्दे पर भी प्रहार करती है । समाज के हाशिये पर बैठे वर्ग के प्रति बाकी समाज की क्या सोच है ,.ये बात भी कहानी अपने कलेवर मे समेटे है
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    रविन्द्र "रवि"
    02 मार्च 2019
    शिर्षक ही काफी था पसन्द आने के लिए।पूरी रचना ने उसपे चार चांद लगा दिया
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    19 दिसम्बर 2018
    बहुत बढ़िया लेखन शैली। कृपया आप मेरी कहानियां पढ़कर मेरा मार्गदर्शन कीजिये।