“ 45 साल हो गये एक ही सड़क पर झाड़ू लगाते लगाते । एक ही रास्ता , एक ही समय , बिनानागा , लगातार सुबह शाम झाड़ू लगाता हूँ मैं । पूरी ईमानदारी के साथ । आने जाना वाला कोइ कह नही सकता कि ये सड़क उसने कभी ...
बेहद सुरूचिपूर्ण व
कलात्मक अभिरूचियों से सम्पन्न महिला । डी ए वी श्रेष्ठा विहार दिल्ली मे अध्यापिका
प्रकाशित रचनायें .. उपन्यास ... तेरे बिन
कहानी संग्रह..कहानियां जो कही न गई ।
सारांश
बेहद सुरूचिपूर्ण व
कलात्मक अभिरूचियों से सम्पन्न महिला । डी ए वी श्रेष्ठा विहार दिल्ली मे अध्यापिका
प्रकाशित रचनायें .. उपन्यास ... तेरे बिन
कहानी संग्रह..कहानियां जो कही न गई ।
ये कहानी समाज के एक उपेक्षित समाज के व्यक्ति की मनोदश या कहें कि मनोव्यथा का बेहद सटीक चित्रण करने के साथ ही स्वछता जैसे सामाजिक मुद्दे पर भी प्रहार करती है । समाज के हाशिये पर बैठे वर्ग के प्रति बाकी समाज की क्या सोच है ,.ये बात भी कहानी अपने कलेवर मे समेटे है
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ये कहानी समाज के एक उपेक्षित समाज के व्यक्ति की मनोदश या कहें कि मनोव्यथा का बेहद सटीक चित्रण करने के साथ ही स्वछता जैसे सामाजिक मुद्दे पर भी प्रहार करती है । समाज के हाशिये पर बैठे वर्ग के प्रति बाकी समाज की क्या सोच है ,.ये बात भी कहानी अपने कलेवर मे समेटे है
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