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जो जिसका था नसीब अंतिम भाग-5

4.7
12351

घर मे शादी की तैयारी ज़ोरों पर थी। घर भी डेकोरेट हो रहा था। रुबाब ज़्यादातर अपने कमरे में ही बंद रहती। कुछ था जो रुबाब महसूस कर रही थी लेकिन वो समझ नही पा रही थी,,,,,,

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लेखक के बारे में
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शैहला अंसारी

दोस्तों मेरी पहचान मेरा कलम है,,बचपन से लिखने का शौक था पर कोई अच्छा प्लेटफॉर्म नही मिला,, फिर एक दिन प्रतिलिपि एप देखा,,, बस फिर क्या था अपने दिल की ख्वाहिश को प्रतिलिपि को सौप दिया और लिखना शुरू किया,, कुछ कहानियां लिखी तो कुछ गज़लें तो कुछ शेर,,प्रतिलिपि पर मुझे बहुत अच्छा रिस्पोंस मिला,,, धीरे धीरे सफलता मिलती चली गई,,मेरे फोलोवर्स भी 5000 तक पहुंच गए और इस बात के लिए मैं अपने सभी पाठकों का दिल से बहुत बहुत शुक्रिया अदा करती हूं और प्रतिलिपि का भी,,क्योंकि प्रतिलिपि नही होती तो जो मैं आज हूं वो मैं नही होती 😊😊😊 और सबसे ज़्यादा उस ऊपर वाले की मैं एहसान मंद हूं कि उसने मुझे इतनी खुशियों से नवाज़ा 👆🏼👆🏼 तो मेरे प्यारे पाठकों अपना साथ बनाए रखें और अच्छी अच्छी समीक्षा से मेरी रचनाओं को नवाज़ते रहे और प्लीज़ मुझे सब्सक्राइब ज़रूर ज़रूर करें😊😊😊

समीक्षा
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    N. A Hussain
    21 मई 2019
    इसे कहते हैं सच्ची मोहब्बत | ज़िन्दगी 1अधखुली व बंद किताब है, बस जरुरत है तो उसे समय पर पढ़ने,पढ़ाने और समझने वालों की | यहाँ मुझे मोहब्बत की ये तीनोंबहुत बड़ी पहलु दिखी...... 1) अरशद के रुबाब कि जिस्म की खूबशूरती के लालची मोहब्बत का किताब खुला | 2)इमाद का रुबाब के प्रति बचपन से की गई दिल में दबी मुहब्बत का किताब खुला | 3) रुबाब का खुदा के तरफ से भेजी गयी निकाह जैसे पाक रिश्ते की शिद्दत में छुपी मोहब्बत का किताब खुला ||..……. और सही समय पर मोहब्बत कि किताब को हर पढ़ने, पढ़ाने और समझने वाला मिलता और खुलता चला गया.....!! बहुत ही खूबशूरती के साथ अापने मोहब्बत को अंजाम तक पहुँचाया | बहुत ख़ूब | 👌👌👏👏👏
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    ajay
    20 मई 2019
    आखिर इमाद और उसके परिवार की सच्ची मुहब्बत जीत गई।आपके किरदार रुबाब के अंतिम सोच से शायद कम लोग सहमत हो क्योंकि मुहब्बत खुदा का तोहफ़ा है न जाने किसको कब मिले।
  • author
    Usha Garg "उषा"
    25 मई 2019
    शहला जी अच्छी रचना है अंत और भी अच्छा पता नही आज भी लड़के ईर्ष्या में तेजाब फेंक कर लड़की की जिंदगी बर्बाद क्यों करने पर तुले है
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    N. A Hussain
    21 मई 2019
    इसे कहते हैं सच्ची मोहब्बत | ज़िन्दगी 1अधखुली व बंद किताब है, बस जरुरत है तो उसे समय पर पढ़ने,पढ़ाने और समझने वालों की | यहाँ मुझे मोहब्बत की ये तीनोंबहुत बड़ी पहलु दिखी...... 1) अरशद के रुबाब कि जिस्म की खूबशूरती के लालची मोहब्बत का किताब खुला | 2)इमाद का रुबाब के प्रति बचपन से की गई दिल में दबी मुहब्बत का किताब खुला | 3) रुबाब का खुदा के तरफ से भेजी गयी निकाह जैसे पाक रिश्ते की शिद्दत में छुपी मोहब्बत का किताब खुला ||..……. और सही समय पर मोहब्बत कि किताब को हर पढ़ने, पढ़ाने और समझने वाला मिलता और खुलता चला गया.....!! बहुत ही खूबशूरती के साथ अापने मोहब्बत को अंजाम तक पहुँचाया | बहुत ख़ूब | 👌👌👏👏👏
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    ajay
    20 मई 2019
    आखिर इमाद और उसके परिवार की सच्ची मुहब्बत जीत गई।आपके किरदार रुबाब के अंतिम सोच से शायद कम लोग सहमत हो क्योंकि मुहब्बत खुदा का तोहफ़ा है न जाने किसको कब मिले।
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    Usha Garg "उषा"
    25 मई 2019
    शहला जी अच्छी रचना है अंत और भी अच्छा पता नही आज भी लड़के ईर्ष्या में तेजाब फेंक कर लड़की की जिंदगी बर्बाद क्यों करने पर तुले है