घर मे शादी की तैयारी ज़ोरों पर थी। घर भी डेकोरेट हो रहा था। रुबाब ज़्यादातर अपने कमरे में ही बंद रहती। कुछ था जो रुबाब महसूस कर रही थी लेकिन वो समझ नही पा रही थी,,,,,,

प्रतिलिपिघर मे शादी की तैयारी ज़ोरों पर थी। घर भी डेकोरेट हो रहा था। रुबाब ज़्यादातर अपने कमरे में ही बंद रहती। कुछ था जो रुबाब महसूस कर रही थी लेकिन वो समझ नही पा रही थी,,,,,,