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"जुतो ने जान ली"

4.5
1546

एक गांव में एक छोटा सा परिवार रहता था । उस परिवार का मुखिया मुकेश व उनकी पत्नी कमला थे उनका गांव एक नदि के किनारे बसा हुआ था और उनका घर नदी से काफी दूर था नदी के किनारे  एक स्कूल थी जो गांव ...

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लेखक के बारे में
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bhagirath choudhary

Life depend filofax (autobiography)

समीक्षा
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  • author
    R.K shrivastava
    08 जुलाई 2019
    ऐसा होना तब अनहोनी है,जब बगैर जाँच पड़ताल किये जूते पहन लिए जायें । इसी तरह पानी भी देखकर ही पीना चाहिए ! 👌👌
  • author
    Vijaykant Verma
    08 जुलाई 2019
    कहानी अच्छी है, और प्रेरक भी है, पर मोहित का अवतार आ गया, यह बात कुछ समझ में नहीं आई..
  • author
    MOHANI KUMARI
    24 जुलाई 2019
    बारिश के मौसम में तो विशेषकर जूतों को देखकर ही पहनना चाहिए अनदेखा नहीं करना चाहिए जब पूरी रात जूते पड़े हो तो सुबह उन्हें देखकर ही पहना चाहिए क्योंकि उसमें कोई जहरीला जीव तो नहीं घुस गया हो इसीलिए जूतों को भी पानी की तरह ही देखना चाहिए जैसे पानी देकर पीते वैसे भी जूते देखकर पहनने चाहिए।
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    R.K shrivastava
    08 जुलाई 2019
    ऐसा होना तब अनहोनी है,जब बगैर जाँच पड़ताल किये जूते पहन लिए जायें । इसी तरह पानी भी देखकर ही पीना चाहिए ! 👌👌
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    Vijaykant Verma
    08 जुलाई 2019
    कहानी अच्छी है, और प्रेरक भी है, पर मोहित का अवतार आ गया, यह बात कुछ समझ में नहीं आई..
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    MOHANI KUMARI
    24 जुलाई 2019
    बारिश के मौसम में तो विशेषकर जूतों को देखकर ही पहनना चाहिए अनदेखा नहीं करना चाहिए जब पूरी रात जूते पड़े हो तो सुबह उन्हें देखकर ही पहना चाहिए क्योंकि उसमें कोई जहरीला जीव तो नहीं घुस गया हो इसीलिए जूतों को भी पानी की तरह ही देखना चाहिए जैसे पानी देकर पीते वैसे भी जूते देखकर पहनने चाहिए।