पहाड़ियों के बीच बने रिसॉर्ट के कमरे में बैठा वह खिड़की से बाहर देख रहा था।उसकी प्यारी डायरी और कलम वहीं टेबुल पर रखी हुई थी।बहुत देर से सोच रहा था कि कुछ लिखे।पर,शुरूआत हो नहीं पा रही थी।पता नहीं ...
स्वान्तः सुखाय रघुनाथ गाथा।
यही मेरा ध्येय है।जब इच्छा हुई।कल्पना ने उड़ान भरी और लेखनी शुरु।लिखना तभी संपन्न होता है जब रचना पूर्ण हो जाये।घंटा भर या दो-तीन घंटे लगातार।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आलेख,कवितायें,कथायें आदि प्रकाशित एवम् आकाशवाणी से प्रसारित।
सम्प्रति-कार्यक्रम अधिशासी,आकाशवाणी,दरभंगा।
चलभाष-9852230568.
सारांश
स्वान्तः सुखाय रघुनाथ गाथा।
यही मेरा ध्येय है।जब इच्छा हुई।कल्पना ने उड़ान भरी और लेखनी शुरु।लिखना तभी संपन्न होता है जब रचना पूर्ण हो जाये।घंटा भर या दो-तीन घंटे लगातार।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आलेख,कवितायें,कथायें आदि प्रकाशित एवम् आकाशवाणी से प्रसारित।
सम्प्रति-कार्यक्रम अधिशासी,आकाशवाणी,दरभंगा।
चलभाष-9852230568.
स्त्री दैहिक आकर्षण में कभी नहीं बंधती।
उसके मन में जीवन के अलग भाव होते हैं एक मासूम बच्चा उसके मन में बैठा होता है जो खुल कर खिलखिलाना और उड़ना चाहता है।
बहुत अच्छी रचना है।
रिपोर्ट की समस्या
सुपरफैन
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स्त्री दैहिक आकर्षण में कभी नहीं बंधती।
उसके मन में जीवन के अलग भाव होते हैं एक मासूम बच्चा उसके मन में बैठा होता है जो खुल कर खिलखिलाना और उड़ना चाहता है।
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