वही जीतू, जिसे आज भी पांडवो के समकक्ष पूजा जाता है गढवाल में, कुलदेवता के रूप में। तो ये बात तब की है, जब मुगल शाशको नें अरब से आकर राजस्थान के रजवाड़ों की नीवें हिला दी थी। इन युद्धो से थक कर ...
रुला दिया आपने पंकज जी ।कितने अभागे है हम उत्तराखंड का प्रेम भरा इतिहास से मरहूम थे ।जीत महान थे उतरराखणड की जान जीतू देवता है ।रक्षक है आछरियां हर ले गई मैं आपका आभार प्रकट करती हूँ इतना खूबसूरती से लेखन पर इतिहास पर ।
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रुला दिया आपने पंकज जी ।कितने अभागे है हम उत्तराखंड का प्रेम भरा इतिहास से मरहूम थे ।जीत महान थे उतरराखणड की जान जीतू देवता है ।रक्षक है आछरियां हर ले गई मैं आपका आभार प्रकट करती हूँ इतना खूबसूरती से लेखन पर इतिहास पर ।
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