मनोज एक सीधा साधा दिहाड़ी मजदूर था। बाकी मजदूरों की तरह वह भी अपने गाँव से कुछ सपने लेकर आया था। सोचा था, ये स्वप्न नगरी मुंबई है। यहाँ सबके सपने पूरे होते है, शायद मेरी भी इच्छा माँ मुम्बा देवी ...
मैं मुंबई मे पालि बढ़ी हूँ। शिक्षा- विवाह- बच्चे सभी मुंबई मे ही रचा बसा है। इस स्वप्न नगरी मे मेरे भी सपने कुछ पूरे हुए कुछ वक़्त के साथ दब गए और कुछ अभी भी अधूरे है। एक सपना लेखिका बनने का भी रहा, और खुशी है मै आज समाज मे लेखिका के रूप मे जानी जाती हूँ।
सारांश
मैं मुंबई मे पालि बढ़ी हूँ। शिक्षा- विवाह- बच्चे सभी मुंबई मे ही रचा बसा है। इस स्वप्न नगरी मे मेरे भी सपने कुछ पूरे हुए कुछ वक़्त के साथ दब गए और कुछ अभी भी अधूरे है। एक सपना लेखिका बनने का भी रहा, और खुशी है मै आज समाज मे लेखिका के रूप मे जानी जाती हूँ।
रिपोर्ट की समस्या
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