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जादुई चिराग़

4.3
1401

जादुई चिराग़ गिरीश पंकज    उस दिन एक खोज़ी पत्रकार रामभरोसे ख़बर की तलाश में निकला।  'दो मरे, चार घायल' वाली ख़बरों से वह कब का ऊब चुका था। वह अपने अख़बार बार 'दैनिक अग्निवर्षा' के लिये हमेशा ...

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लेखक के बारे में
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गिरीश पंकज

पूरा नाम : गिरीश चंद्र उपाध्याय । दस उपन्यास, सत्ताईस व्यंग्य संग्रह, सात गजल संग्रह, नवसाक्षरों के लिए पन्द्रह पुस्तकें, बच्चों के लिए सात पुस्तकें, पत्रकारिता साहित्य पर विविध विषयों को लेकर पन्द्रह पुस्तकें। लगभग सन्तानवे पुस्तकों का लेखन। व्यंग्य साहित्य का सबसे बड़ा लखटकिया सम्मान 'व्यंग्यश्री' 13 फरवरी, 2018 को दिल्ली में मिला। रायपुर (छत्तीसगढ़) में रहते हुए पिछले चालीस सालों से साहित्य और पत्रकारिता में निरंतर सक्रिय। प्रमुख अखबारों में मुख्य नगर संवाददाता और संपादक के पद पर काम करने के बाद स्वतंत्र लेखन। बीस खंडों में 'गिरीश पंकज रचनावली' प्रकाश्य। अब तक बाईस विद्यार्थियों द्वारा शोध कार्य।

समीक्षा
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    Kishwar Anjum
    04 ഫെബ്രുവരി 2020
    वाह वाह! उल्लू बनाने का काम हमने देश के नेताओं पर छोड़ रखा है.....ज़बरदस्त लाइन, और जनता ये जानते हुए भी उल्लू बनती रहती है....
  • author
    25 ജൂണ്‍ 2022
    वाह, वाकई मजा आ गई पढ़कर, व्यंग्यात्मक शैली में लिखी गई बेहतरीन कहानी
  • author
    Poonam Mishra "पूर्णिमा"
    04 ഫെബ്രുവരി 2020
    बहुत सुंदर लगी जिन्न व पत्रकार की कहानी मजा आ गया आदरणीय !!!
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    Kishwar Anjum
    04 ഫെബ്രുവരി 2020
    वाह वाह! उल्लू बनाने का काम हमने देश के नेताओं पर छोड़ रखा है.....ज़बरदस्त लाइन, और जनता ये जानते हुए भी उल्लू बनती रहती है....
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    25 ജൂണ്‍ 2022
    वाह, वाकई मजा आ गई पढ़कर, व्यंग्यात्मक शैली में लिखी गई बेहतरीन कहानी
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    Poonam Mishra "पूर्णिमा"
    04 ഫെബ്രുവരി 2020
    बहुत सुंदर लगी जिन्न व पत्रकार की कहानी मजा आ गया आदरणीय !!!