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छोटू

4.3
9962

आरती आज फिर उस चाय की गुमटी(छोटी दुकान) पर आयी थी. अक्सर आफिस की मशीनी चाय और मशीनी रूटिन से बोर होकर वो और उसके साथी इस चाय की गुमटी पर आ जाते थे, कुछ अगल ही स्वाद था इस छोटी सी दुकान की चाय का. ...

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लेखक के बारे में
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अरुण

Love you💞 जिंदगी..🤗

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Madhu Veer
    17 ജനുവരി 2019
    aap Puri story pratilipi par kyon nahi dalte
  • author
    31 ഒക്റ്റോബര്‍ 2017
    बहुत खूब लिखा है आपने इस रचना में सच्चाई झलक रही है जिंदगी की ।बधाई हो । किंतु पढ़ने की राह का कोई रास्ता होता । सभी साथियों से मिल कर तो एक नई शुरुआत होती । सहानुभूति दिखाना और अधर में छोड़ दिया । सार्थकता तो तब है जब पढ़ाई मंजिल तक पहुंचने की कोशिश हो। फिर भी बधाई । अन्यथा न ले ।
  • author
    r.goldenink
    11 മാര്‍ച്ച് 2019
    😊...abhi pehle end mai ja ker dekhna padega....tab padna shuru karoongi...march mai hi april fool ban gaya...👌👌
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    Madhu Veer
    17 ജനുവരി 2019
    aap Puri story pratilipi par kyon nahi dalte
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    31 ഒക്റ്റോബര്‍ 2017
    बहुत खूब लिखा है आपने इस रचना में सच्चाई झलक रही है जिंदगी की ।बधाई हो । किंतु पढ़ने की राह का कोई रास्ता होता । सभी साथियों से मिल कर तो एक नई शुरुआत होती । सहानुभूति दिखाना और अधर में छोड़ दिया । सार्थकता तो तब है जब पढ़ाई मंजिल तक पहुंचने की कोशिश हो। फिर भी बधाई । अन्यथा न ले ।
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    r.goldenink
    11 മാര്‍ച്ച് 2019
    😊...abhi pehle end mai ja ker dekhna padega....tab padna shuru karoongi...march mai hi april fool ban gaya...👌👌