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चेहरे पर चेहरा

4.7
3323

अनीता तुरंत कार से उतरी और दौड़ कर घर के अंदर गई-बाबूजी कहाँ हैं? अरे ये क्या हो गया हाय हाय कहकर बिलखने लगी! तभी भाभी पानी का गिलास लेकर आई और कहा पानी पी लें दीदी बाबूजी अभी ठीक हैं। मुझे पानी ...

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लेखक के बारे में

बचपन से ही कहानियां और कविताएं पढने का शौक धीरे- धीरे लिखने का शौक भी बन गया। मुझे कहानियां लिखना बहुत पसंद हैं।मैंने , एम ए (समाज शास्त्र ) और बी०एड० किया हैं। समाज से जुड़े मुद्दे ही मेरे कलम से निकलते हैं, जो महसूस करती हूँ उसे लिख डालती हूँ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Chhotoo Baba Verma
    28 अक्टूबर 2019
    ये उन बेटियों को जरूर पढ़ना चाहिए जो अपने पिता जी से बहुत प्रेम जताते हैं कि कहीं वो भी अनीता तो नहीं
  • author
    वैदेही
    13 अगस्त 2020
    ये कहानी उन सभी तथकथितों को पढ़नी चाहिये जो मानते हैं कि इस देश में वृद्धाश्रम बेटे एवं बहुओं के कारण चल रहे हैं। जरूरी नहीं है की हर बेटा बुढापे का सहारा बने और हर बेटी सेवा करे। मन में सेवाभाव जरूरी होता है साथ ही परवरिश भी मायने रखती है की हमने अगली पीढ़ी को पैसे का महत्व समझाया है या रिश्तों का। स्वार्थ साधना सिखाया या भावनाओं की कद्र करना। बहुत ही सुंदर रचना। लेखक को साधुवाद ।
  • author
    sudha tiwari
    29 मई 2020
    सोचने वाली रचना आजकल रिश्ते दिखावे और स्वार्थ पर बनते है
  • author
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    Chhotoo Baba Verma
    28 अक्टूबर 2019
    ये उन बेटियों को जरूर पढ़ना चाहिए जो अपने पिता जी से बहुत प्रेम जताते हैं कि कहीं वो भी अनीता तो नहीं
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    वैदेही
    13 अगस्त 2020
    ये कहानी उन सभी तथकथितों को पढ़नी चाहिये जो मानते हैं कि इस देश में वृद्धाश्रम बेटे एवं बहुओं के कारण चल रहे हैं। जरूरी नहीं है की हर बेटा बुढापे का सहारा बने और हर बेटी सेवा करे। मन में सेवाभाव जरूरी होता है साथ ही परवरिश भी मायने रखती है की हमने अगली पीढ़ी को पैसे का महत्व समझाया है या रिश्तों का। स्वार्थ साधना सिखाया या भावनाओं की कद्र करना। बहुत ही सुंदर रचना। लेखक को साधुवाद ।
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    sudha tiwari
    29 मई 2020
    सोचने वाली रचना आजकल रिश्ते दिखावे और स्वार्थ पर बनते है