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चूहेदानी

3.4
1232

चूहों का नाम सुनकर रोहित चौंक गया और उसे रात ट्रेफिक हवालदार के साथ हुई सारी बातें याद आ गई ......... उसने तुरंत बीवी से पूछा - कल तुमने चार चूहे रखे तो थे फेंकने के लिए डिग्गी में? बीवी- ...

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लेखक के बारे में
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PRIYA S PRASAD

सरल, सौम्य, ज़िन्दगी के करीब, प्रकृति को ईश्वर का स्थान दिया है इसलिए प्रकृति से बहुत प्रेम है इसलिए प्रकृति की हर रचना से प्रेम है फिर वो चाहे सजीव हो या निर्जीव। जिंदगी का हर पल जीती हूँ और कुछ न कुछ सीखती हूँ I जिंदगी से बढ़कर कोई शिक्षक नहीं और सबसे बड़ी बात ये शिक्षक हमें पूरी आज़ादी देता है I

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Latika Batra "Batra"
    01 अप्रैल 2020
    इस कहानी को पुरूस्कार दिया है ! मैं हैरान हूं।
  • author
    08 फ़रवरी 2020
    अच्छी कहानी, मेने भी एक कोशिश की हैं, "शाश्वत सत्य- भविष्यकाल या भूतकाल बदल नही सकते", अपनी राय अवश्य दिजीये। नई नई की कोशिश हैं और नया नया ये प्रयास हैं, मेरी किमत एक "बूंद" जितनी हैं, ये मुझे अहसास हैं, चाहू आशीर्वाद और बटोर लू कुछ ज्ञान आप लोगो से, बस इतनी ही चाह हैं और इतनी ही आस हैं 🙏
  • author
    एकांत "प्रचेता"
    30 मई 2020
    आपकी लेखनी बढ़िया थी पर क्षमा करे, मुझे यह कहानी उटपटांग लगी। यह तृतीय पुरस्कार क्यों जीती, समझ नही आया। फिर भी आपको बधाई🎉🎊🏆
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    Latika Batra "Batra"
    01 अप्रैल 2020
    इस कहानी को पुरूस्कार दिया है ! मैं हैरान हूं।
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    08 फ़रवरी 2020
    अच्छी कहानी, मेने भी एक कोशिश की हैं, "शाश्वत सत्य- भविष्यकाल या भूतकाल बदल नही सकते", अपनी राय अवश्य दिजीये। नई नई की कोशिश हैं और नया नया ये प्रयास हैं, मेरी किमत एक "बूंद" जितनी हैं, ये मुझे अहसास हैं, चाहू आशीर्वाद और बटोर लू कुछ ज्ञान आप लोगो से, बस इतनी ही चाह हैं और इतनी ही आस हैं 🙏
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    एकांत "प्रचेता"
    30 मई 2020
    आपकी लेखनी बढ़िया थी पर क्षमा करे, मुझे यह कहानी उटपटांग लगी। यह तृतीय पुरस्कार क्यों जीती, समझ नही आया। फिर भी आपको बधाई🎉🎊🏆