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हिन्दी

चार घंटे

4.5
8602

वृक्ष की शाखों पर ताज़ी ,सुकोमल पत्तियाँ लहरा रही थीं। अच्छी लग रही थी कोमल,सुरभित बयार !उसने एक चक्कर पूरे बगीचे का काट लिया था और अब वह थक गया था । वैसे थकना उसके स्वभाव में नहीं था फिर भी शरीर है ...

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लेखक के बारे में

-जन्म-स्थल -मुजफ्फरनगर [उत्तर -प्रदेश ] -शिक्षा -दिल्ली ,उत्तर प्रदेश ,अहमदाबाद -शै .यो -एम.ए [अंग्रेज़ी .हिन्दी },पी. एच डी [हिन्दी [प्रकाशन ] -टच मी नॉट,चक्र ,अपंग ,अन्ततोगत्वा ,[उपन्यास](हिन्दी सा. अकादमी ) से प्रथम पुरुस्कृत । -एक त्रिशंकु सिलसिला ( काव्य -संग्रह ) [ अप्रकाशित उपन्यास] -महायोग उपन्यास धारावाहिक रूप में ,दिल्ली-प्रेस से सितम्बर 14 से प्रकाशित -सत्रह अध्यायों में समाप्त -समिधा (IN PRESS) - विभिन्न हिन्दी पत्रिकाओं में कहानी,लेख,समीक्षा तथा कविताएँ प्रकाशित -वर्षों से मंच पर काव्य-पाठ एवं संचालन [अन्य कार्य व अनुभव ] - गुजराती व अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद ( कविता ,कहानी ,उपन्यास तथा अन्य विषयों पर पुस्तकें ) -"अहमदाबाद एक्शन ग्रुप" (असाग ) में को -ऑर्डिनेटर के रूप में अनुभव - राष्ट्रीय डिज़ाइन संस्थान में (N I D)में हिंदी -अधिकारी " " " " " " " " -अहमदाबाद आकाशवाणी एवं दूरदर्शन में वर्षों लेखन एवं कार्यक्रम प्रस्तुति -विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में गद्य -पद्य लेखन -'इसरो' ,अहमदाबाद के शै .विभाग (डेकू) के लिए दूरदर्शन के कई कार्यक्रमों व नाटकों का लेखन तथा प्रस्तुति -(अब झाबुआ जाग उठा ) सीरियल का कथानक ,शीर्षक गीत ,संवाद लेखन (68 ) एपिसोड्स ) (भोपाल के लिए ) -नृत्य -नाटिकाओं का लेखन (भोपाल के लिए ) -(ए वोयेग ऑफ़ पीस एंड जॉय) लन्दन में 8 भजनों का लेखन (फ्यूज़न)के लिए - आई .आई .एम (अहमदाबाद )में हिंदी सेल के कार्य में 7 वर्षों तक संलग्न (संलग्न ) -कविता ,कहानी ,उपन्यास लेखन -'हिरण्यगर्भ:'उपन्यास -बाल -गीतों तथा कहानियों का लेखन -'एजुकेशन इनीशिएटिव्स' संस्था में हिन्दी एक्सपर्ट के रूप में संलग्न ,इसके लिए लगभग 70 बाल-कविताओं का गुजराती से हिन्दी में अनुवाद ।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    23 जनवरी 2020
    माननीया सुश्री डा. प्रणव भारती जी बहुत-बहुत बधाई तथा साधुवाद। जीवन के अनुभवों तथा आपके संवेदनशील हृदय से ही जिजीविषा की प्रेरणा तथा ऊर्जा संभव हो सकती है। अन्यथा पढे लिखे विद्वान तो संसार में अनेक हैं। आपकी लेखन शैली भी अन्य लोगों से भिन्न और आकर्षक है।पुनः बधाई।
  • author
    मधु सोसी
    20 अगस्त 2015
    "चार घंटे " पढ़ने में तो शायद चार मिनिट लगे परन्तु बात चार सौ मील तलक पहुँच गई , आशान्वित करती प्यारी कहानी मधुर सन्देश ठीक ऐसे पहुंचाती है जैसे तामस से लड़ता, अब बुझा अब बुझा दीप | " ये कहानी है दिए की और तूफ़ान की " डा. प्रणव भारती की  सूक्ष्म ,महीन ,जहीन लेखनी ने सूर्य रश्मि को बखूबी पन्नों पर बिखेरा  है | उनका शब्द चित्र सराहनीय है सबसे बड़ी बात है की जमीनी हकीकत , विद्रूप परिस्तिथि जिसमे प्रोफैसर गौड़ अपने को पाते है और टूट जाते है ऎसी  दमघोटू , वन्तिलेटर पर जीते व्यक्ति की साँसों में  स्पंदन भरना उनका प्रतिपल विफलताओं का मातम मनाना , और समीरा का उन्हें उन चंद घंटों में ऐसे दर्शन से मिलवाना जिसे वे पढ़ाते तो अवश्य रहे किन्तु  जीवन शैली में उतारने में विफल रहे , बस यहीं मैं प्रणव की कायल हो गई | बधाई प्रणव  आपने दिल से लिखा हमने दिल से पढ़ा और दिल पर लिखा , सन्देश सभी के लिए है , और ये ही एक  लेखक का यज्ञ है | मधु  
  • author
    Manju Mahima
    24 अगस्त 2015
    निराशाओं से जूझते व्यक्ति को एक आशा की किरण से नवाज़ती यह कहानी...बहुत ही प्रभावी है...लेखिका ने बडी युक्ति से जीवन का दर्शन समीरा के माध्यम से पाठकों तक संप्रेषित कर दिया है. इस कहानी में इतनी उर्जा है कि कोई भी निराश व्यक्ति पढ़े तो वह भी उम्मीद का चिराग ले दौड़ने लगे. लेखिका की लेखनी के निरंतर प्रवाह को नमन है...बहुत बहुत बधाई, प्रणव आपके समर्थ लेखन के लिए...
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    23 जनवरी 2020
    माननीया सुश्री डा. प्रणव भारती जी बहुत-बहुत बधाई तथा साधुवाद। जीवन के अनुभवों तथा आपके संवेदनशील हृदय से ही जिजीविषा की प्रेरणा तथा ऊर्जा संभव हो सकती है। अन्यथा पढे लिखे विद्वान तो संसार में अनेक हैं। आपकी लेखन शैली भी अन्य लोगों से भिन्न और आकर्षक है।पुनः बधाई।
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    मधु सोसी
    20 अगस्त 2015
    "चार घंटे " पढ़ने में तो शायद चार मिनिट लगे परन्तु बात चार सौ मील तलक पहुँच गई , आशान्वित करती प्यारी कहानी मधुर सन्देश ठीक ऐसे पहुंचाती है जैसे तामस से लड़ता, अब बुझा अब बुझा दीप | " ये कहानी है दिए की और तूफ़ान की " डा. प्रणव भारती की  सूक्ष्म ,महीन ,जहीन लेखनी ने सूर्य रश्मि को बखूबी पन्नों पर बिखेरा  है | उनका शब्द चित्र सराहनीय है सबसे बड़ी बात है की जमीनी हकीकत , विद्रूप परिस्तिथि जिसमे प्रोफैसर गौड़ अपने को पाते है और टूट जाते है ऎसी  दमघोटू , वन्तिलेटर पर जीते व्यक्ति की साँसों में  स्पंदन भरना उनका प्रतिपल विफलताओं का मातम मनाना , और समीरा का उन्हें उन चंद घंटों में ऐसे दर्शन से मिलवाना जिसे वे पढ़ाते तो अवश्य रहे किन्तु  जीवन शैली में उतारने में विफल रहे , बस यहीं मैं प्रणव की कायल हो गई | बधाई प्रणव  आपने दिल से लिखा हमने दिल से पढ़ा और दिल पर लिखा , सन्देश सभी के लिए है , और ये ही एक  लेखक का यज्ञ है | मधु  
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    Manju Mahima
    24 अगस्त 2015
    निराशाओं से जूझते व्यक्ति को एक आशा की किरण से नवाज़ती यह कहानी...बहुत ही प्रभावी है...लेखिका ने बडी युक्ति से जीवन का दर्शन समीरा के माध्यम से पाठकों तक संप्रेषित कर दिया है. इस कहानी में इतनी उर्जा है कि कोई भी निराश व्यक्ति पढ़े तो वह भी उम्मीद का चिराग ले दौड़ने लगे. लेखिका की लेखनी के निरंतर प्रवाह को नमन है...बहुत बहुत बधाई, प्रणव आपके समर्थ लेखन के लिए...