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चाय की प्याली

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पिछले माह शादी को २५ साल हो गए है| वक़्त कैसे गुज़र जाता है ,पता ही नहीं लगता | इस घर में बहू बन कर आना ,ये घर संभालना ,बच्चोंं के पहले जन्मदिन से लेकर उनके कॉलेज जाने तक का सफर , सब देखा है इस घर ने | अपने घर में सबसे छोटी और लाड़ली बेटी थी मैं| कॉलेज पूरा हुआ तो बाउजी ने लड़के देखने शुरू किये | एक दो जगह बात करने के बाद इनका रिश्ता मिला | बात इतनी जल्दी पक्की हो गयी के कुछ समझने से पहले ही शादी की तारीख भी तय कर ली गयी | पहले ज्यादा बात -चीत का रिवाज़ तो होता नहीं था | बचपन से ही मुझे शाम को माँ ...

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समीक्षा
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  • author
    कहानी Café
    30 ജൂലൈ 2017
    बहुत ही मीठी बात। कितनी संपूर्णता झलकती है। अच्छा लगा पढ़ कर।
  • author
    Dr.Jasvir Singh
    02 മെയ്‌ 2019
    सहज,सरल, सारगर्भित। यही कहूंगा -----एक दोहे के रूप में: कितना चाहा है तुझे, कैसे करूं बयान, गूंगे का गुड़ मान ले, मन से तू पहचान।।
  • author
    Suman garg
    12 ഫെബ്രുവരി 2021
    bahut sundar maine abhi kuchh din pahle Facebook pr padha tha Khushnaseeb hoti hain vo ladkiya jinka humsafar bin bole unke Dil ki baat samajh jaye
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    कहानी Café
    30 ജൂലൈ 2017
    बहुत ही मीठी बात। कितनी संपूर्णता झलकती है। अच्छा लगा पढ़ कर।
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    Dr.Jasvir Singh
    02 മെയ്‌ 2019
    सहज,सरल, सारगर्भित। यही कहूंगा -----एक दोहे के रूप में: कितना चाहा है तुझे, कैसे करूं बयान, गूंगे का गुड़ मान ले, मन से तू पहचान।।
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    Suman garg
    12 ഫെബ്രുവരി 2021
    bahut sundar maine abhi kuchh din pahle Facebook pr padha tha Khushnaseeb hoti hain vo ladkiya jinka humsafar bin bole unke Dil ki baat samajh jaye