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चांद डरावना लगता है..??

4.5
79

सोचा मैंने छत पर जाकर, मेरे चांद से मिल लूं, कुछ घड़ियों का सुकूं चुराकर दो बातें मन की भी कर लूं, तय कोने पर पहुंची पर वो वहां नहीं था, पीछे मुड़ के देखा तो वो समझ सा आया, आज पश्चिम से निकला था ...

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समीक्षा
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  • author
    24 नवम्बर 2018
    👌👌👌👌👌
  • author
    Awadhesh kumar Shailaj "शैलज"
    24 नवम्बर 2018
    आज भी जब किसी चाँद को अपने चाँद के रूप में स्वीकार कर लिया जाता है तो वह अपना चाँद हो जाता है। हमें अपनापन को अपनी ओर से भी भरने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन दूसरे के चाँद का तो डरावना लगना स्वाभाविक ही है। मोनिका त्रिपाठी जी की रचना " चांद डरावना लगता है..?? " वास्तव में सुन्दर सलोना चांद भी कभी-कभी सोचने के लिए मजबूर कर देता है।
  • author
    25 नवम्बर 2018
    Awesomeness in precise use of rhymes. Really a great try. All the BEST. तुकबन्दी का उत्तम व सीमित प्रयास अच्छा है पँक्तियों में महोदया।
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    24 नवम्बर 2018
    👌👌👌👌👌
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    Awadhesh kumar Shailaj "शैलज"
    24 नवम्बर 2018
    आज भी जब किसी चाँद को अपने चाँद के रूप में स्वीकार कर लिया जाता है तो वह अपना चाँद हो जाता है। हमें अपनापन को अपनी ओर से भी भरने का प्रयास करना चाहिए, लेकिन दूसरे के चाँद का तो डरावना लगना स्वाभाविक ही है। मोनिका त्रिपाठी जी की रचना " चांद डरावना लगता है..?? " वास्तव में सुन्दर सलोना चांद भी कभी-कभी सोचने के लिए मजबूर कर देता है।
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    25 नवम्बर 2018
    Awesomeness in precise use of rhymes. Really a great try. All the BEST. तुकबन्दी का उत्तम व सीमित प्रयास अच्छा है पँक्तियों में महोदया।