आरुषि ने घूँघट उठाकर ससुराल में जब अपने स्वागत के लिए की गई तैयारियों को देखने की कोशिश की, तो दादी सास ने बहू की तरफ भौहे चढ़ाकर घूँघट नीचे करने का इशारा किया। आरुषि ने भी बेमन से दादी सास का ...
mere sath bhi same aarushi ki trh ho rha hai....abhi mere sadi ko 3 mahine huye hai mere sasural me bhi ghunghat pratha hai orr mere ko bhi sbb tokte rhte hai ....abhi mere or meri sas ke bilkul nhi banti hai main ess family main bilkul khus nhi hu mujhe bilkul pasnd nhi hai ghunght nikalna......fir main city me aagyi rhne ke liye firr bhi bolte hai uthr bhi ghunght nikalna hai ese krna wese krna ect. mujhe abb job bhi krna hai mujhe lgta hai fir yh family dkhal degi .....I'm very sad
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सुन्दर लेखन, वास्तव में अब समाज बदल रहा है,
कुछ लोग है जो अभी भी, पुराणी प्रथाओं से जुड़े है, और उन्ही में कुछ और भी है जो इन्हें पीछे छोड़ चुके है ।
मेरी शादी भी गाँव में ही हुई है, मुझे खुद को घूँघट से आपत्ति नही थी, पर अक्सर भूल जाती थी, फिर भी हमे कभी किसी ने नही टोका, और अब हमारे घर में ये घूँघट नही है, हाँ सर पर पल्लू जरूर रखती हूं, पर घूँघट हम चारों बहुओं में कोई भी नही करता ।
और सास ससुर जी को कोई आपत्ति भी नही है, यहाँ तक की साड़ी ही पहननी है इसका भी दबाव नही है हम पर। जब की हम बहुत ही छोटे से गाँव से जुड़े है ।
आशा है, जल्द ही यह विचार देश के हर परिवार में हो ।
आप का जीवन कल्याणकारी हो ।
शुभमस्तु 🍁🌸🙏
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मेरी शादी भी गाँव में ही हुई है, मुझे खुद को घूँघट से आपत्ति नही थी, पर अक्सर भूल जाती थी, फिर भी हमे कभी किसी ने नही टोका, और अब हमारे घर में ये घूँघट नही है, हाँ सर पर पल्लू जरूर रखती हूं, पर घूँघट हम चारों बहुओं में कोई भी नही करता ।
और सास ससुर जी को कोई आपत्ति भी नही है, यहाँ तक की साड़ी ही पहननी है इसका भी दबाव नही है हम पर। जब की हम बहुत ही छोटे से गाँव से जुड़े है ।
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