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गौरा गाय महादेवी वर्मा

4.7
5514

गाय के नेत्रों में हिरन के नेत्रों-जैसा विस्मय न होकर आत्मीय विश्वास रहता है। उस पशु को मनुष्य से यातना ही नहीं, निर्मम मृत्यु तक प्राप्त होती है, परंतु उसकी आंखों के विश्वास का स्थान न विस्मय ले ...

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लेखक के बारे में

मैं विनोद कुमार राव "भारतीय" आप सभी का बहुत स्वागत करता हूँ। हमारे जीवन में बहुत उतार चढ़ाव आते हैं। कभी दुःख है तो कभी सुख है एक सिक्के के दो पहलू है। दोस्तों , बिना अफ़सोस किये हमें निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए ! मैं हमेशा अपनी खुद की लिखित रचनाऐ ही प्रकाशित करता हूँ। अधिक जानकारी के लिए मेरे ब्लॉग https://vinodkumarrao.blogspot.com पर भी मेरी स्वंय रचित रचनाये हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में पढ सकते है

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Purnima Singh
    21 अप्रैल 2021
    महादेवी वर्मा की रचना की समीक्षा सूरज को दिया दिखाने जैसा ही होगा। उनके कलम की नोंक में ऐसा जादू है कि हमें तो गौरा जीवंत नज़र आने लगी। उस करुणा में हम भी बहने लगे
  • author
    shreyanshu rai
    07 मार्च 2019
    महादेवी जी माँ की तरह अँगुली पकड़कर अपने कथा संसार में ले जाती हैं......और फिर वहां से आने का मन नहीं होता।
  • author
    दीपिका
    22 अप्रैल 2021
    बहुत ही मर्मस्पर्शी हृदय विदारक करुण कथा... आज जाना गाय को सीधा और भोला पशु क्यु कहते हैं..... और वो तो गाय माता भि होती है...... तभी उसमे इतनी सहन शक्ति होती है.. और करुणा होती है 👍👍
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    Purnima Singh
    21 अप्रैल 2021
    महादेवी वर्मा की रचना की समीक्षा सूरज को दिया दिखाने जैसा ही होगा। उनके कलम की नोंक में ऐसा जादू है कि हमें तो गौरा जीवंत नज़र आने लगी। उस करुणा में हम भी बहने लगे
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    shreyanshu rai
    07 मार्च 2019
    महादेवी जी माँ की तरह अँगुली पकड़कर अपने कथा संसार में ले जाती हैं......और फिर वहां से आने का मन नहीं होता।
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    दीपिका
    22 अप्रैल 2021
    बहुत ही मर्मस्पर्शी हृदय विदारक करुण कथा... आज जाना गाय को सीधा और भोला पशु क्यु कहते हैं..... और वो तो गाय माता भि होती है...... तभी उसमे इतनी सहन शक्ति होती है.. और करुणा होती है 👍👍