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गुलाबी साड़ी में

4.5
938

कल रात ख्वाब में  देखा तुझको , मैंने गुलाबी साड़ी में.......। बालों में गजरा गुलाबी, नखों पे चढ़ा रंग गुलाबी , शर्म से सिमटी खुद में ऐसे , जैसे की हो अकवारी  में,... । कल रात ख्वाब में देखा ...

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लेखक के बारे में

मत पुछ इस पंछी से कहाँ जाना है, पंख पसार उड़ चले हैं, इस उन्मुक्त गगन में, जहां दिन ढल जाये, बस वहीं ठिकाना है। कल आज और कल की फिकर क्यों हो हमे, जब अपनी खिदमत् करता सारा जमाना है ।

समीक्षा
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    21 जून 2019
    भावप्रवण ।कृपया वर्तनी ( spelling) सबंधी त्रुटियां सुधार लें तो और सुंदर हो जाएगी।
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    24 नवम्बर 2021
    ✍️🐦🙏😇😇👌💕💓❤️💗💖💞🌸💖💝♥️😇😇😇🛐🛐🙏🙏🐦🐦🐦✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
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    Rajendra Mishra "राजन"
    12 अगस्त 2019
    बेहतरीन लिखा है आपने मनमोहक प्रस्तुति है आपकी रचना
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    21 जून 2019
    भावप्रवण ।कृपया वर्तनी ( spelling) सबंधी त्रुटियां सुधार लें तो और सुंदर हो जाएगी।
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    24 नवम्बर 2021
    ✍️🐦🙏😇😇👌💕💓❤️💗💖💞🌸💖💝♥️😇😇😇🛐🛐🙏🙏🐦🐦🐦✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
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    Rajendra Mishra "राजन"
    12 अगस्त 2019
    बेहतरीन लिखा है आपने मनमोहक प्रस्तुति है आपकी रचना