कल रात ख्वाब में देखा तुझको , मैंने गुलाबी साड़ी में.......। बालों में गजरा गुलाबी, नखों पे चढ़ा रंग गुलाबी , शर्म से सिमटी खुद में ऐसे , जैसे की हो अकवारी में,... । कल रात ख्वाब में देखा ...
मत पुछ इस पंछी से कहाँ जाना है,
पंख पसार उड़ चले हैं, इस उन्मुक्त गगन में,
जहां दिन ढल जाये, बस वहीं ठिकाना है।
कल आज और कल की फिकर क्यों हो हमे,
जब अपनी खिदमत् करता सारा जमाना है ।
सारांश
मत पुछ इस पंछी से कहाँ जाना है,
पंख पसार उड़ चले हैं, इस उन्मुक्त गगन में,
जहां दिन ढल जाये, बस वहीं ठिकाना है।
कल आज और कल की फिकर क्यों हो हमे,
जब अपनी खिदमत् करता सारा जमाना है ।
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या