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गजरे वाली रात

4.5
7189

कमबख्त , टिक-टिक करती घड़ी की सूईयों ने कब, मुझे उनकी नजरों में चंद्रमुखी से ज्वालामुखी बना दिया, पता ही नहीं चला !खाना-पीना, उठाना-बैठना , हर जगह साथ जाना , एक-दूसरे पर मर-मिटना …ये सबकुछ सपना-सा ...

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लेखक के बारे में

स्वतंत्र लेखन, हिन्दी

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ajit
    15 एप्रिल 2020
    सुंदर और दिल को छूने वाली कहानी।
  • author
    19 सप्टेंबर 2021
    बहुत खूबसूरत लिखा है आपने। मैने बहुत पहले लिखी थी मेरी एक रचना( सरप्राइज )की कहानी बिलकुल इससे मिलती जुलती है । कभी समय निकाल कर पढियेगा जरूर।
  • author
    Rajeev Saxena
    14 फेब्रुवारी 2021
    बहुत सुंदर रचना है, हार्दिक शुभकामनाएं।कृपया मेरी रचना पर समीक्षा देकर कृतार्थ कीजिए।
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    Ajit
    15 एप्रिल 2020
    सुंदर और दिल को छूने वाली कहानी।
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    19 सप्टेंबर 2021
    बहुत खूबसूरत लिखा है आपने। मैने बहुत पहले लिखी थी मेरी एक रचना( सरप्राइज )की कहानी बिलकुल इससे मिलती जुलती है । कभी समय निकाल कर पढियेगा जरूर।
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    Rajeev Saxena
    14 फेब्रुवारी 2021
    बहुत सुंदर रचना है, हार्दिक शुभकामनाएं।कृपया मेरी रचना पर समीक्षा देकर कृतार्थ कीजिए।