खोया बचपन चलो लेखनी आज स्मरण उसे करा दें जो बालक बना मजदूर नवचेतना जगा दें मजबूर है मजदूर वह बचपन उसे लौटा दें । जब नन्हें कोमल हाथ कचरे को उठाता है तब रोम रोम उसका क्रंदन कर रोता है डालें न ...
मैं इंदिरा एक गृहिणी हूँ । मेरी शैक्षणिक योग्यता M.Sc (Chem)और B.ed है। मुझे प्रकृति व संवेदनशील घटना पर कविता लिखना अच्छा लगता है। इसके अलावा हास्य, व्यंग्य, जोगीरा (होली)पर भी लिखती हूँ ।और आपसे पढ़ने की अपेक्षा रखती हूँ।
सारांश
मैं इंदिरा एक गृहिणी हूँ । मेरी शैक्षणिक योग्यता M.Sc (Chem)और B.ed है। मुझे प्रकृति व संवेदनशील घटना पर कविता लिखना अच्छा लगता है। इसके अलावा हास्य, व्यंग्य, जोगीरा (होली)पर भी लिखती हूँ ।और आपसे पढ़ने की अपेक्षा रखती हूँ।
रिपोर्ट की समस्या
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