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खाली-खाली

4.5
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[यह कहानी केवल वयस्कों के लिए है] [This Story is only for adults] कमला ने बेसन भरे हाथों से बचाते हुए दरवाज़े की कुंडी खोली तो दरवाज़े पर अपर्णा खड़ी थी। “नमस्ते भाभी।” “अरे आओ-आओ अपर्णा। बहुत सही ...

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लेखक के बारे में

प्रकाशित पुस्तकें:- कविता संग्रह- क्योंकि मैं औरत हूँ कहानी संग्रह- समुद्र की रेत, मन का मनका फेर, सात दिन की माँ उपन्यास- अबकी नौकरी छोड़ दूँगी, सिंहासन का शीशा

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    ajay
    01 फ़रवरी 2019
    कैंसर पर लिखी बेहद शानदार और शिक्षाप्रद कहानी।आपका कहानी के शुरू में केवल एडल्ट्स के लिए लिखना समझ में नहीं आया।यहाँ कहीं भी कोई अश्लीलता नहीं थी और यह ऐसा खतरा है जो उम्र या अवस्था नहीं देखता।आपने इस ओर इशारा बच्चों का नाम लेकर किया भी है।सबसे मजबूत पक्ष कहानी का बेहद सकारात्मक होना है।👏👏👏👏👏
  • author
    Pallavi Sharma
    07 मार्च 2019
    बहुत मार्मिक कहानी है...एक ओरत के दुख में यदि उसका जीवनसाथी और परिवार साथ दे तो वह हर लड़ाई लड़ सकती है ...और स्तन कैंसर जैसे संवेदनशील विषय को भी लेखक ने बखूबी चित्रित किया है।
  • author
    Duleshwar Yadaw
    20 अगस्त 2020
    एक व्यक्ति के लिए उसका परिवार ही सब कुछ होता है और ऐसे कठिन परिस्थितियों में उनका साथ मिलना बहुत जरूरी होता है| बहुत ही अच्छा लेख हैं |
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    ajay
    01 फ़रवरी 2019
    कैंसर पर लिखी बेहद शानदार और शिक्षाप्रद कहानी।आपका कहानी के शुरू में केवल एडल्ट्स के लिए लिखना समझ में नहीं आया।यहाँ कहीं भी कोई अश्लीलता नहीं थी और यह ऐसा खतरा है जो उम्र या अवस्था नहीं देखता।आपने इस ओर इशारा बच्चों का नाम लेकर किया भी है।सबसे मजबूत पक्ष कहानी का बेहद सकारात्मक होना है।👏👏👏👏👏
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    Pallavi Sharma
    07 मार्च 2019
    बहुत मार्मिक कहानी है...एक ओरत के दुख में यदि उसका जीवनसाथी और परिवार साथ दे तो वह हर लड़ाई लड़ सकती है ...और स्तन कैंसर जैसे संवेदनशील विषय को भी लेखक ने बखूबी चित्रित किया है।
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    Duleshwar Yadaw
    20 अगस्त 2020
    एक व्यक्ति के लिए उसका परिवार ही सब कुछ होता है और ऐसे कठिन परिस्थितियों में उनका साथ मिलना बहुत जरूरी होता है| बहुत ही अच्छा लेख हैं |