'किसान' हमारे देश मे किसानों की वास्तविक स्थिति तथा उनके जीवन की कठिनाइयों को उजागर करती एक कहानी है, ये कहानी आपके सामने फाँके करते किसान को ला कर खड़ा कर देगी, उनके बच्चों की चिटकी थालियों मे ...
फांसी पर लटका अन्नदाता उसे श्रापित करता है
खून,पसीना,लहू लूट कर जो अपना घर भरता है
वरुण ... आप की कलम से निकली हर चिंगारी अंतर्मन में आग लगा जाती है ... शायद कुछ लोग ये कभी ना समझ सकेंगे की उन की थाली में आने वाली हर रोटी की कितनी क़ीमत चुकाई जाती है और कैसे ... खुद को आप का मित्र कहलाना गर्व की बात है ... भगवान करें आप की कलम की ताक़त दिनों दिन बढ़ती जाए ...
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जबरदस्त
मानना पड़ेगा आपकी अनुभूति को शब्द देने की क्षमता को। इस्तीफा देंना मुझे बहुत अच्छा लगा। कहानी मे बहुत लियाकत दिखती है।
आपको बारंबार नमन करता हूँ।
कहानी सटीक है और कहीं भी झोल नहीं दर्शाती।
अनुपमेय व अद्वितीय
उत्कृष्ट व अत्यंत ही मार्मिक।
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आज तक पढ़ी कहानियों में सर्वश्रेष्ठ। नियति का इससे ज्यादा मार्मिक चित्रण आज तक नही पढ़ा। आज के भौतिकता वादी युग मे ac में बैठे आधा खाना थाली में झूठा छोड़ने वालो के मुँह पर करारा तमाचा है ये कृति। साधुवाद।
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