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किसान

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'किसान' हमारे देश मे किसानों की वास्तविक स्थिति तथा उनके जीवन की कठिनाइयों को उजागर करती एक कहानी है, ये कहानी आपके सामने फाँके करते किसान को ला कर खड़ा कर देगी, उनके बच्चों की चिटकी थालियों मे ...

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समीक्षा
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    Agrima Pandey
    06 நவம்பர் 2016
    फांसी पर लटका अन्नदाता उसे श्रापित करता है खून,पसीना,लहू लूट कर जो अपना घर भरता है वरुण ... आप की कलम से निकली हर चिंगारी अंतर्मन में आग लगा जाती है ... शायद कुछ लोग ये कभी ना समझ सकेंगे की उन की थाली में आने वाली हर रोटी की कितनी क़ीमत चुकाई जाती है और कैसे ... खुद को आप का मित्र कहलाना गर्व की बात है ... भगवान करें आप की कलम की ताक़त दिनों दिन बढ़ती जाए ...
  • author
    Vinay Sharma
    24 மார்ச் 2019
    जबरदस्त मानना पड़ेगा आपकी अनुभूति को शब्द देने की क्षमता को। इस्तीफा देंना मुझे बहुत अच्छा लगा। कहानी मे बहुत लियाकत दिखती है। आपको बारंबार नमन करता हूँ। कहानी सटीक है और कहीं भी झोल नहीं दर्शाती। अनुपमेय व अद्वितीय उत्कृष्ट व अत्यंत ही मार्मिक।
  • author
    Abhishek Tiwari
    27 டிசம்பர் 2017
    आज तक पढ़ी कहानियों में सर्वश्रेष्ठ। नियति का इससे ज्यादा मार्मिक चित्रण आज तक नही पढ़ा। आज के भौतिकता वादी युग मे ac में बैठे आधा खाना थाली में झूठा छोड़ने वालो के मुँह पर करारा तमाचा है ये कृति। साधुवाद।
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    Agrima Pandey
    06 நவம்பர் 2016
    फांसी पर लटका अन्नदाता उसे श्रापित करता है खून,पसीना,लहू लूट कर जो अपना घर भरता है वरुण ... आप की कलम से निकली हर चिंगारी अंतर्मन में आग लगा जाती है ... शायद कुछ लोग ये कभी ना समझ सकेंगे की उन की थाली में आने वाली हर रोटी की कितनी क़ीमत चुकाई जाती है और कैसे ... खुद को आप का मित्र कहलाना गर्व की बात है ... भगवान करें आप की कलम की ताक़त दिनों दिन बढ़ती जाए ...
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    Vinay Sharma
    24 மார்ச் 2019
    जबरदस्त मानना पड़ेगा आपकी अनुभूति को शब्द देने की क्षमता को। इस्तीफा देंना मुझे बहुत अच्छा लगा। कहानी मे बहुत लियाकत दिखती है। आपको बारंबार नमन करता हूँ। कहानी सटीक है और कहीं भी झोल नहीं दर्शाती। अनुपमेय व अद्वितीय उत्कृष्ट व अत्यंत ही मार्मिक।
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    Abhishek Tiwari
    27 டிசம்பர் 2017
    आज तक पढ़ी कहानियों में सर्वश्रेष्ठ। नियति का इससे ज्यादा मार्मिक चित्रण आज तक नही पढ़ा। आज के भौतिकता वादी युग मे ac में बैठे आधा खाना थाली में झूठा छोड़ने वालो के मुँह पर करारा तमाचा है ये कृति। साधुवाद।