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किन्नर

4.4
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जीवन

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Anu Shukla

aggyani

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    विवेक सोम "Vivek Som"
    25 सितम्बर 2018
    अनु जी एक उत्कृष्ठ और व्यापक प्रभावशील रचना व्याकरणिक त्रुटियों के कारण अपने भावी उत्कर्ष को नही प्राप्त हो पा रही है ..............साधुवाद
  • author
    पिंकी राजपूत
    03 अक्टूबर 2018
    इस पीड़ा को आपने शब्दों में बखूबी पिरोया है... बेहतरीन!! थोड़ा सा पंक्तियों को क्रम में कर दीजिए जिससे अधिक सुन्दरता आ जाये..🙏
  • author
    24 सितम्बर 2018
    वाह! आपका आभार! यह विचार सोचनीय है 👏👏👏सुंदर प्रस्तुति!
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    विवेक सोम "Vivek Som"
    25 सितम्बर 2018
    अनु जी एक उत्कृष्ठ और व्यापक प्रभावशील रचना व्याकरणिक त्रुटियों के कारण अपने भावी उत्कर्ष को नही प्राप्त हो पा रही है ..............साधुवाद
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    पिंकी राजपूत
    03 अक्टूबर 2018
    इस पीड़ा को आपने शब्दों में बखूबी पिरोया है... बेहतरीन!! थोड़ा सा पंक्तियों को क्रम में कर दीजिए जिससे अधिक सुन्दरता आ जाये..🙏
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    24 सितम्बर 2018
    वाह! आपका आभार! यह विचार सोचनीय है 👏👏👏सुंदर प्रस्तुति!