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किताब--जिंदगी की

4.1
2071

तलाक और तलाक का दंश

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लेखक के बारे में
author
Annapurna Mishra

हिंदुस्तानी गृहस्थन

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Nvl
    30 अगस्त 2022
    किसी ने कमेंट लिखा है कि " लेखक ने समाज की सोच को हूबहू उतारा है " यानी वास्तविक चित्रण किया है समाज के यथार्थ का, यद्यपि रचनाकार जब सामाजिक यथार्थ को देखता है तब वह घटनाक्रमों की तस्वीर नहीं उतारता, अपनी अंतर्दृष्टि से वह घटनाक्रम की परतों में छिपा सत्य ढूंढता है, क्या दिख रहा है कि जगह क्या दिखना चाहिए बताता है। एक बहुत अच्छी लिखी रचना में यह कमी कुछ खटकती है।
  • author
    Varu Patwa
    18 जून 2020
    me bahut achhe se samajh skti hu is story ko feel kr skti hu kyuki me bhi divorcee hu..us dukh or takleef ko hm bta nhi skte.bs tadpte rah jate h..zinda laash jese
  • author
    babita Gupta
    13 दिसम्बर 2018
    बिल्कुल नारी दशा , स्थिति का सही अवलोकन करती , बेहतरीन कहानी, एक बार फिर कहानी से साबित हो गया, जिन्दगी की किताब लिखने वाले शब्द उसके ही हाथ में है।
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  • author
    Nvl
    30 अगस्त 2022
    किसी ने कमेंट लिखा है कि " लेखक ने समाज की सोच को हूबहू उतारा है " यानी वास्तविक चित्रण किया है समाज के यथार्थ का, यद्यपि रचनाकार जब सामाजिक यथार्थ को देखता है तब वह घटनाक्रमों की तस्वीर नहीं उतारता, अपनी अंतर्दृष्टि से वह घटनाक्रम की परतों में छिपा सत्य ढूंढता है, क्या दिख रहा है कि जगह क्या दिखना चाहिए बताता है। एक बहुत अच्छी लिखी रचना में यह कमी कुछ खटकती है।
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    Varu Patwa
    18 जून 2020
    me bahut achhe se samajh skti hu is story ko feel kr skti hu kyuki me bhi divorcee hu..us dukh or takleef ko hm bta nhi skte.bs tadpte rah jate h..zinda laash jese
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    babita Gupta
    13 दिसम्बर 2018
    बिल्कुल नारी दशा , स्थिति का सही अवलोकन करती , बेहतरीन कहानी, एक बार फिर कहानी से साबित हो गया, जिन्दगी की किताब लिखने वाले शब्द उसके ही हाथ में है।