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कागज़ की कश्ती

4.8
169

कागज की कश्ती आज आसमान का रंग मेरे मन की तरह काला था। निराशा के मेघ उसकी असीम उड़ान को अपनी गहरी, काली छाया में ढ़के हुए थे। इन काले परदों के उस तरफ का वो आसमान मेरी आँखों के सामने से विलुप्त था। मैं ...

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लेखक के बारे में
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Vrinda S Mishra

An aspiring author. एक उभरती लेखिका व कवियत्री। Follow me on Instagram : www.instagram.com/writer_vrinda . Follow me on YourQuotes : https://www.yourquote.in/vrindam65 Follow me on wattpad : www.wattpad.com/luvvrinda Find my published story "SUHAGIN" in Vanita July 2018 edition.

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Prabha Mohta
    16 जुलाई 2020
    लेखिका ने बहुत ही सादगी से जीवन जीने का तरीका समझ दिया है। कुछ क्षण पहले वो चिंताओं से घिरी थी पर उन छोटे छोटे बच्चों की जिंदगी जीने की प्रवृति ने लेखिका को भी चिंता के भँवर से बाहर निकल कर जिन सिख दिया।
  • author
    चारु "उषा" जैन
    16 जुलाई 2020
    आपको बहुत समय से फॉलो कर रही हूँ। आपकी रचनाओं से हमेशा लेखन के लिए कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। सुंदर रचना है , हमेशा की तरह। बधाई।😊
  • author
    sushma mohata
    16 जुलाई 2020
    न ई उमंग नई तरंग अरमानों के फूल खिले नन्ही सी बचपन की यादें तरोताजा हो गले मिले
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    Prabha Mohta
    16 जुलाई 2020
    लेखिका ने बहुत ही सादगी से जीवन जीने का तरीका समझ दिया है। कुछ क्षण पहले वो चिंताओं से घिरी थी पर उन छोटे छोटे बच्चों की जिंदगी जीने की प्रवृति ने लेखिका को भी चिंता के भँवर से बाहर निकल कर जिन सिख दिया।
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    चारु "उषा" जैन
    16 जुलाई 2020
    आपको बहुत समय से फॉलो कर रही हूँ। आपकी रचनाओं से हमेशा लेखन के लिए कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। सुंदर रचना है , हमेशा की तरह। बधाई।😊
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    sushma mohata
    16 जुलाई 2020
    न ई उमंग नई तरंग अरमानों के फूल खिले नन्ही सी बचपन की यादें तरोताजा हो गले मिले