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कागज की नाव

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जब  कभी भी हमे अपने बचपन की याद आती  है। तो बचपन मे की गई गलतियां, शैतानियां व नादानियो को याद कर , कुछ बातों के लिए हम हर्षित होते  है, तो कुछ बातों के लिए अश्रुधारा बहने लगती है।हम यादों के ...

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लेखक के बारे में

( मै वंदना बाजपेई), ,मैंने एम.ए ( अर्थशास्त्र) बी. एड तक शिक्षा प्राप्त की है। संस्कृत व हिंदी विषयों में मेरी विशेष अभिरुचि है।कारण इसके साहित्य में आध्यात्म, दर्शन , ज्ञान का अपार भण्डार है।( बी.ए मेंने संस्कृत व हिंदी विषयों से किया है) गृहणीके साथ शिक्षिका भी हूं( मेरा स्वयं का coaching center ,है। जिसमे उच्च कक्षाओं में अध्यापन कार्य करती हूं । 🙏🙏

समीक्षा
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  • author
    अनुराधा चौहान
    16 जुलाई 2020
    बहुत सुंदर कहानी 👌
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    अनुराधा चौहान
    16 जुलाई 2020
    बहुत सुंदर कहानी 👌