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कसाई

4.3
2155

गायों की प्राण प्रण से रक्षा करने का उद्घोष करने वाले व्यक्ति का अपने घर में आचरण क्या था

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लेखक के बारे में
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नीरज नीर

मैं एक कवि एवं कहानीकार हूँ . मुझे अच्छा पढ़ना भी खूब भाता है . प्रकाशित काव्य संकलन : "जंगल में पागल हाथी और ढोल" , "पीठ पर रोशनी" कहानी संकलन : "ढुकनी एवं अन्य कहानियाँ" . सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में सैकड़ों कवितायें एवं दर्जनों कहानियाँ प्रकाशित। सृजनलोक कविता सम्मान, प्रथम महेंद्र प्रताप स्वर्ण साहित्य सम्मान, ब्रजेन्द्र मोहन स्मृति साहित्य सम्मान, सूरज प्रकाश मारवाह साहित्य रत्न आदि से सम्मानित ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Renu
    11 मार्च 2019
    इसे कहते हैं दीपक तले अँधेरा। बेहतरीन मार्मिककथा नीरज जी। शुभकामनायें
  • author
    kumud
    01 मार्च 2019
    कथनी और करनी का यही अंतर है.सच है.भाषण देना सरल है पर अमल करना बहुत कठिन.
  • author
    Rahul Dev Khairuddinpuri
    04 अप्रैल 2019
    जहां तक आपने अपनी कहानी के द्वारा एक सच को प्रदर्शित किया है वहीं समाज के एक तबके/ जाति पर भी सवाल उठाया है. यह भी सच है कि आपका सवाल पूरे ब्राह्मण जाति से नहीं है फिर भी ब्राह्मण समाज को बुरा तो लगा ही होगा. इतना हिम्मत कहां से लाते हैं?
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    Renu
    11 मार्च 2019
    इसे कहते हैं दीपक तले अँधेरा। बेहतरीन मार्मिककथा नीरज जी। शुभकामनायें
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    kumud
    01 मार्च 2019
    कथनी और करनी का यही अंतर है.सच है.भाषण देना सरल है पर अमल करना बहुत कठिन.
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    Rahul Dev Khairuddinpuri
    04 अप्रैल 2019
    जहां तक आपने अपनी कहानी के द्वारा एक सच को प्रदर्शित किया है वहीं समाज के एक तबके/ जाति पर भी सवाल उठाया है. यह भी सच है कि आपका सवाल पूरे ब्राह्मण जाति से नहीं है फिर भी ब्राह्मण समाज को बुरा तो लगा ही होगा. इतना हिम्मत कहां से लाते हैं?