मैं उस परमपिता परमात्मा से कहना चाहता हूँ, कि "हे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के रचयिता, अभी भी थोड़ा सुकून बाकी है, तेरी बनाई, इस दुनिया में"
मैंने अपने आचार्य जी से कुछ बेहतरीन पंक्तियाँ सुनी जिन्हें मैं हमेशा याद रखता हूँ:-
"लक्ष्य न ओझल होने पाए, क़दम मिला कर चल।
मंजिल तेरे पग चूमेगी, आज नहीं तो कल।।"
रिपोर्ट की समस्या
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