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कर्मभूमि

4.2
14487

ताऊजी की चिठ्ठी पाकर अवाक् थी वह ... कि अपना सारा अतीत ही आँखों के सामने तैरने लगा । जिस संयुक्त परिवार में पैदा हुई, उसके कर्ता धर्ता यही ताऊजी थे । वो अपने माँ बाबा की इकलौती संतान थी, लाड़ली ...

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लेखक के बारे में

प्राइवेट सेक्टर कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर, कई समाजसेवी संस्थाएँ जैसे लायंस क्लब तथा इनरव्हील क्लब के कई डिस्ट्रिक्ट लेबल पदभार सँभाले और उल्लेखनीय काम किया । लेखन का शौक बचपन से ही रहा है। रचनाएँ राष्ट्रीय स्तर की कई पत्रिकाओं तथा लोकल अखबारों में प्रकाशित हो चुकी हैं ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Surbhi Agrawal
    19 सितम्बर 2018
    वाह बहुत प्रेरणादाई कहानी।
  • author
    satya prakash saraswat
    16 अप्रैल 2022
    wrong dicision.desh mn aaj aur mahol kharab .gunda element hi sarkar mn hn ya sarkar ki chatrchzya mn
  • author
    Radha
    12 अक्टूबर 2018
    बेहतरीन। मैंने 4 rate दिया. लेकिन 5 भी ज्यादा नहीं है
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    Surbhi Agrawal
    19 सितम्बर 2018
    वाह बहुत प्रेरणादाई कहानी।
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    satya prakash saraswat
    16 अप्रैल 2022
    wrong dicision.desh mn aaj aur mahol kharab .gunda element hi sarkar mn hn ya sarkar ki chatrchzya mn
  • author
    Radha
    12 अक्टूबर 2018
    बेहतरीन। मैंने 4 rate दिया. लेकिन 5 भी ज्यादा नहीं है