pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

एक और दामिनी !!!

4.7
65326

दोष छोटे कपड़ो का नहीं इंसान की छोटी सोच का है जो इंसान को इंसान से जानवर और जानवर से हैवान बना देती है !!!!

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

मैं कोई Writer नही बल्कि एक चोर हूं , जो लोगो का समय चुराती है !! प्रतिलिपी पाठक × साक़ी के सारथी ✓

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    SiYa Sihag
    19 ಆಗಸ್ಟ್ 2018
    क्या कहूं:- बस इतना ही कि एक बेटी की माँ हूँ, तो बस दिल चूर 2 हो जाता है ये सब पढ़कर। कभी 2 तो मन करता है कि क्यों औरतें 9 महीने दर्द सहती हैं ऐसे बेटों को। ऐसा कानून नही हो सकता कि बेटों को तो फांसी मिले ही पर उन बेटों को फांसी समाज दे, केस न लड़ने वालों, झूठी गवाही देने वालो सबको फांसी हो।
  • author
    सौरभ दबंग
    17 ನವೆಂಬರ್ 2018
    बहुत ही अच्छा इतना अच्छा की मैं शब्दो मे बता नही सकता, अगर हम कहानियो को सिर्फ कहानी समझकर छोड़ दे तो कोई फ़ायदा नही पढ़ने का हमे कहानियों से जो सिख मिलती है उसे अपने जीवन मे हमे उतारना चाहिए। साला इन जैसे लड़को को तो क्या बताऊँ इतना बुरा बोलने का मन कर रहा है इतना गाली देना का की, ख़ैर आँसू तो नही निकला मगर बहुत ही बेकार feel हो रहा है कि रिंकू नही रही मगर सिर्फ ये कल्पना ही नही है ऐसा तो हमारे देश मे हर रोज हो रहा है,
  • author
    Alka Bhardwaj "Sona"
    17 ಜೂನ್ 2017
    Kahani padh kr aankh bhar gyi kuch log sochate hai ki janm se pahle ladkiyon ko mar dena sahi h isse hum unhe aisi taklif se bacha pate hai so ye koi pap nhi mai unlogon se kahti hun bete ko kyun nhi janm se pahle mar dete ki koi darinda paida hi na ho ye samasya janm rok dene se nhi rukegi ye sanskar sahi dene se rukegi aur galat krne wala galat hota h na ki wo jiske sath galat hua to saja bhi samaj ko galati krne wale ko dena chahiye afsos hum Itna padhe likhe ho kr advanced ho kr bhi change nhi la pa rhe samaj me wahi anpadho wali harkat aaj bhi h
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    SiYa Sihag
    19 ಆಗಸ್ಟ್ 2018
    क्या कहूं:- बस इतना ही कि एक बेटी की माँ हूँ, तो बस दिल चूर 2 हो जाता है ये सब पढ़कर। कभी 2 तो मन करता है कि क्यों औरतें 9 महीने दर्द सहती हैं ऐसे बेटों को। ऐसा कानून नही हो सकता कि बेटों को तो फांसी मिले ही पर उन बेटों को फांसी समाज दे, केस न लड़ने वालों, झूठी गवाही देने वालो सबको फांसी हो।
  • author
    सौरभ दबंग
    17 ನವೆಂಬರ್ 2018
    बहुत ही अच्छा इतना अच्छा की मैं शब्दो मे बता नही सकता, अगर हम कहानियो को सिर्फ कहानी समझकर छोड़ दे तो कोई फ़ायदा नही पढ़ने का हमे कहानियों से जो सिख मिलती है उसे अपने जीवन मे हमे उतारना चाहिए। साला इन जैसे लड़को को तो क्या बताऊँ इतना बुरा बोलने का मन कर रहा है इतना गाली देना का की, ख़ैर आँसू तो नही निकला मगर बहुत ही बेकार feel हो रहा है कि रिंकू नही रही मगर सिर्फ ये कल्पना ही नही है ऐसा तो हमारे देश मे हर रोज हो रहा है,
  • author
    Alka Bhardwaj "Sona"
    17 ಜೂನ್ 2017
    Kahani padh kr aankh bhar gyi kuch log sochate hai ki janm se pahle ladkiyon ko mar dena sahi h isse hum unhe aisi taklif se bacha pate hai so ye koi pap nhi mai unlogon se kahti hun bete ko kyun nhi janm se pahle mar dete ki koi darinda paida hi na ho ye samasya janm rok dene se nhi rukegi ye sanskar sahi dene se rukegi aur galat krne wala galat hota h na ki wo jiske sath galat hua to saja bhi samaj ko galati krne wale ko dena chahiye afsos hum Itna padhe likhe ho kr advanced ho kr bhi change nhi la pa rhe samaj me wahi anpadho wali harkat aaj bhi h