स्कूल की यादें .......ये तीन लफ्ज़ सुनते ही आँखों के सामने अनगिनत यादों का पिटारा खुल जाता है।छोटी- बड़ी ना जाने ऐसी कितनी यादें हैं जो आज भी ज़हन में ताजा हैं और जब भी याद आती हैं तो बरबस ही लबों ...
बस अच्छा साहित्य पढ़ना पसंद है,,,,और कोशिश है.....कुछ ऐसा सार्थक लिखने की जिससे समाज को एक दिशा मिल सके.....
ईश्वर से यही प्रार्थना करती हूँ कि मेरी लेखनी को इतना सशक्त करें कि मैं आगे भी यूँ ही अपना लेखन जारी रख सकूँ।
सारांश
बस अच्छा साहित्य पढ़ना पसंद है,,,,और कोशिश है.....कुछ ऐसा सार्थक लिखने की जिससे समाज को एक दिशा मिल सके.....
ईश्वर से यही प्रार्थना करती हूँ कि मेरी लेखनी को इतना सशक्त करें कि मैं आगे भी यूँ ही अपना लेखन जारी रख सकूँ।
बहुत सुंदर यादें हैं अनु आपकी। बचपन की यादें होती ही निराली हैं, इस पर कि स्कूल की यादों के तो कहने ही क्या?
बड़ी खूबसूरती से सजायी हैं अपनी यादें👌👌👌👌जहाँ तक मांफ़ीनामे की बात है गलती पर सौ बार मांफ़ी मांगी जायेगी, बिना ग़लती किये तो हरगिज नहीँ , हमारा अपना ये उसूल है 😊। आपकी शिक्षा अच्छी है पर जायज़ नहीं।गिरकर हमें कुछ भी नहीं चाहिए।स्वाभिमान सर्वोपरि, अभिमान से रिश्ता नहीं।
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सुपरफैन
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बहुत सुंदर यादें हैं आपकी अद्भुत लिखा है लिखते रहे जी...!
हमारी भी रचना पढिये... " नदी किनारे प्रेम भाग एक और दो " आगे भी पढ़ते रहे ....!टिप्पणी का इंतजार रहेगा मैम
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सुन्दर लेखन भूतकाल की स्मृतियों में उलझा-उलझा! समीक्षा के लिए पाँच बिन्दु-
1) आपको कॉन्वेंट स्कूल से हटाया जाना।
2) बारम्बार प्रयास के बावजूद आपको बोलने का अवसर न मिल पाना।
3) राइटिंग खराब होने के बावज़ूद आपका डॉक्टर नहीं बनना।
4) गलती नहीं होने पर भी उस शिक्षिका से माफी मांगने के लिए बाध्य किया जाना।
और अन्त में वर्तमान में - मेरी अभी-अभी की रचनाओं को नहीं पढ़ने के लिए आपका क्षमा नहीं मांगना (जबकि आपको सिखाया गया है कि ग़लती हो न हो, बड़ों से क्षमा मांग लेनी चाहिए)।
...अब और क्या समीक्षा की जाय!😊
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3) राइटिंग खराब होने के बावज़ूद आपका डॉक्टर नहीं बनना।
4) गलती नहीं होने पर भी उस शिक्षिका से माफी मांगने के लिए बाध्य किया जाना।
और अन्त में वर्तमान में - मेरी अभी-अभी की रचनाओं को नहीं पढ़ने के लिए आपका क्षमा नहीं मांगना (जबकि आपको सिखाया गया है कि ग़लती हो न हो, बड़ों से क्षमा मांग लेनी चाहिए)।
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