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उलझन

4.8
132

पुछती थी हाल मेरा , आकर उस हाल में। खुद ही उलझ जाती, अपने ही सवाल में।।    कुमार दुर्गेश "विक्षिप्त" ...

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लेखक के बारे में
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Kumar durgesh Vikshipt *Vaishnav*

साहित्य प्रेमी ( पूर्व नवोदयन विद्यार्थी )9983113919 कोटडी़ ग्राम, जिला भीलवाडा़,राजस्थान

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sunil Shukla
    29 नवम्बर 2018
    बहुत सुंदर
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    28 नवम्बर 2018
    बहुत खूब कम शब्दों में ज़्यादा बयान किया है आपने बेहतरीन ।
  • author
    28 नवम्बर 2018
    सच्चाई से रूबरू कराती है आपकी रचना । हार्दिक बधाई
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    Sunil Shukla
    29 नवम्बर 2018
    बहुत सुंदर
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    28 नवम्बर 2018
    बहुत खूब कम शब्दों में ज़्यादा बयान किया है आपने बेहतरीन ।
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    28 नवम्बर 2018
    सच्चाई से रूबरू कराती है आपकी रचना । हार्दिक बधाई