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उपकार

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4.5

सावन का महीना  है , मौसम भी अपने  रूआब पर है , रह रह कर वर्षा की बूंदे अपनी चंचलता दीखा रही है , अपने मकान में आगे बरामदे  में कंचन बैठे बैठे अपने गीले बालों को सूखा रही है , क्योंकि रविवार का ...