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उन्नीस साल होने वाले हैं..!

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कभी कभी अलविदा की घड़ी इस तरह से आती है कि आप अलविदा कह ही नहीं पाते, और जब तक स्वीकार कर पाते हैं कि सचमुच ही कोई जा चुका है, तब तक देर हो चुकी होती है, फिर किसे कहें अलविदा..!! २१ Dec.२००२ को उनका ...

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लेखक के बारे में
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Sonnu Lamba

(लिखना मेरे लिए ध्यान जैसा है.....पढना अच्छा लगता है,) मैं..... केवल मिट्टी का ढेला नही, कोई आये, और मुझे तोड़ जाये.. मैं, मिट्टी की वो पक्की मूरत हूं.. जिसे पानी से गूंथकर, हवा में सुखाकर, अग्नि में तपाकर, आकाश से विस्तार लेकर, मेरे रचयिता ने मुझमें प्राण फूंके है...!! ©sonnu Lamba

समीक्षा
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  • author
    Risha Gupta
    15 జూన్ 2021
    क्या कहू निशब्द हूँ , सही कहा वो कोना हमेशा के लिए ख़ाली हो गया, कुछ हिस्सा हमेशा के लिए गुजर गया, आपके दर्द की कल्पना भी नहीं कर सकती 🙏🙏😔😔😔
  • author
    मनोज गुप्ता "#man0707"
    15 జూన్ 2021
    मैंने अपने पापा को 2007 में खोया था , उस दिन मैं 34 साल का था , पर जैसे बच्चा ही था . एक दिन में बड़ा हो गया . जो जगह खाली हुयी है जीवन में वो कभी नहीं भरेगी . बरगद की जगह कौन भर सकता है ? . मैं उस खाली जगह में कुछ फूलों के पौधे लगाता रहता हूँ , ताकि वो जगह खाली तो रहे पर महकती रहे :)
  • author
    अनिता प्रदीप
    15 జూన్ 2021
    पिता को खोने का अहसास हमें भी है, उनकी क्षति की पूर्ति कभी संभव नहीं है...🙏⚘
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    Risha Gupta
    15 జూన్ 2021
    क्या कहू निशब्द हूँ , सही कहा वो कोना हमेशा के लिए ख़ाली हो गया, कुछ हिस्सा हमेशा के लिए गुजर गया, आपके दर्द की कल्पना भी नहीं कर सकती 🙏🙏😔😔😔
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    मनोज गुप्ता "#man0707"
    15 జూన్ 2021
    मैंने अपने पापा को 2007 में खोया था , उस दिन मैं 34 साल का था , पर जैसे बच्चा ही था . एक दिन में बड़ा हो गया . जो जगह खाली हुयी है जीवन में वो कभी नहीं भरेगी . बरगद की जगह कौन भर सकता है ? . मैं उस खाली जगह में कुछ फूलों के पौधे लगाता रहता हूँ , ताकि वो जगह खाली तो रहे पर महकती रहे :)
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    अनिता प्रदीप
    15 జూన్ 2021
    पिता को खोने का अहसास हमें भी है, उनकी क्षति की पूर्ति कभी संभव नहीं है...🙏⚘