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ईश्वर

4.0
121

ईश्वर के नाम पर व्यापार जमाए लोगों की पड़ताल करती एक कविता

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लेखक के बारे में
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नीरज नीर

मैं एक कवि एवं कहानीकार हूँ . मुझे अच्छा पढ़ना भी खूब भाता है . प्रकाशित काव्य संकलन : "जंगल में पागल हाथी और ढोल" , "पीठ पर रोशनी" कहानी संकलन : "ढुकनी एवं अन्य कहानियाँ" . सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में सैकड़ों कवितायें एवं दर्जनों कहानियाँ प्रकाशित। सृजनलोक कविता सम्मान, प्रथम महेंद्र प्रताप स्वर्ण साहित्य सम्मान, ब्रजेन्द्र मोहन स्मृति साहित्य सम्मान, सूरज प्रकाश मारवाह साहित्य रत्न आदि से सम्मानित ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    संतोष नायक
    23 જુલાઈ 2019
    'अंधापन... आंख वालों को रखा जाता है दूर'।बहुत सुंदर पंक्तियाँ।बधाई।
  • author
    Shyam Hardaha
    11 સપ્ટેમ્બર 2019
    बहुत बढ़िया. आपको कोटिशः नमन सर
  • author
    04 જુન 2019
    सही लिखा है.....ईश्वर डर और व्यापार का दुसरा नाम बन गया है।
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    संतोष नायक
    23 જુલાઈ 2019
    'अंधापन... आंख वालों को रखा जाता है दूर'।बहुत सुंदर पंक्तियाँ।बधाई।
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    Shyam Hardaha
    11 સપ્ટેમ્બર 2019
    बहुत बढ़िया. आपको कोटिशः नमन सर
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    04 જુન 2019
    सही लिखा है.....ईश्वर डर और व्यापार का दुसरा नाम बन गया है।