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इति कृतम

4.5
4345

ठंढ तो खैर थी ही, धुंध उस से कहीं ज्यादा थी, जिसकी वजह से हद से हद पचास मीटर की दूरी तक देखा जा सकता था. सुबह के छः बज कर सोलह मिनट हो रहे थे. पद्मशंकर की कार मेन रोड पर बस बीस किलोमीटर प्रति घंटे की ...

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लेखक के बारे में
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अशोक गुप्ता
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    शिव पाण्डेय
    29 മെയ്‌ 2017
    अदभुत । अतिसंवेदनशील विषय को बहुत ही सरल और रोमांचक शैली में प्रस्तुत करके आपने दिल जीत लिया ।
  • author
    कुसुमाकर दुबे
    27 ഏപ്രില്‍ 2019
    एच आई वी के प्रति सकारात्माकता से परिपूर्ण अच्छी कहानी।
  • author
    Chandan Gupta
    14 നവംബര്‍ 2017
    Kya likhu sabad hi nhi hai aapne to nisabad Kar diya
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    शिव पाण्डेय
    29 മെയ്‌ 2017
    अदभुत । अतिसंवेदनशील विषय को बहुत ही सरल और रोमांचक शैली में प्रस्तुत करके आपने दिल जीत लिया ।
  • author
    कुसुमाकर दुबे
    27 ഏപ്രില്‍ 2019
    एच आई वी के प्रति सकारात्माकता से परिपूर्ण अच्छी कहानी।
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    Chandan Gupta
    14 നവംബര്‍ 2017
    Kya likhu sabad hi nhi hai aapne to nisabad Kar diya