आ चल कुछ बातें करते हैं, कुछ तुम कहो अपनी, कुछ हम अपनी सुनाते हैं। अजनबीयों से क्युँ बैठें, ये सफर लम्बा है रस्तों को काटने का जरीया बनाते हैं। '*शायद तुम्हारी खामिंयाँ मेरी खुबियाँ बन जाये, ...
आ चल कुछ बातें करते हैं, कुछ तुम कहो अपनी, कुछ हम अपनी सुनाते हैं। अजनबीयों से क्युँ बैठें, ये सफर लम्बा है रस्तों को काटने का जरीया बनाते हैं। '*शायद तुम्हारी खामिंयाँ मेरी खुबियाँ बन जाये, ...