pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

आज़ादी #ओवुमनिया

4.8
764

क्या हम महिलाएं वाकई आज़ाद हैं? या हमारी लड़ाई आज़ादी के लिए अब भी जारी है?

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

किस्सों में गुम होती और कविताओं के सहारे वापस मिलने वाली लड़की। लोग कहते हैं पैरों में चकरी लगी है; अक्सर घूमने निकल जाती है। खामोश होकर ज्यादा बातें कर पाती है और बोलने से ज्यादा सुनने में यकीन रखती है। घुमक्कड़ी, लिखना, पढ़ना, गाने सुनना, खाना बनाना (रोज़ नहीं), फ़िल्में देखना और नृत्य करना पसंद है। इस सबके अलावा नई बातों और नए लोगों को जानने में दिलचस्पी रखती है।  @hued.narratives इंस्टाग्राम और YouTube- Prerika Gupta पर अपने अनुभावों को सहेजती हूँ। एक बार देखिये शायद कुछ जाना पहचाना मिल जाये 🤗

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    08 मार्च 2019
    प्रथम पुरस्कार की बहुत बहुत बधाई, निशब्द हूं इस रचना के सामने, व्यथा का उचित वर्णन 👌 👌, लेखनी को प्रणाम 🙏 🙏
  • author
    Aanchal Tyagi
    14 अगस्त 2019
    आज मानवी जी की Facebook post par pasha tha is Kavita ko....aur phir bar bar bus padhti hi gyi 1 nhi 2 nhi anginat Baar
  • author
    Sayyeda Khatoon
    08 मार्च 2019
    बहुत खूब अति उत्तम है प्रथम स्थान प्राप्त करने पर ढेर सारी बधाई
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    08 मार्च 2019
    प्रथम पुरस्कार की बहुत बहुत बधाई, निशब्द हूं इस रचना के सामने, व्यथा का उचित वर्णन 👌 👌, लेखनी को प्रणाम 🙏 🙏
  • author
    Aanchal Tyagi
    14 अगस्त 2019
    आज मानवी जी की Facebook post par pasha tha is Kavita ko....aur phir bar bar bus padhti hi gyi 1 nhi 2 nhi anginat Baar
  • author
    Sayyeda Khatoon
    08 मार्च 2019
    बहुत खूब अति उत्तम है प्रथम स्थान प्राप्त करने पर ढेर सारी बधाई