सारा धुआँ छट चुका था | सत्तर साल की गायत्री के जले हुए मृत शरीर की चिता की तैयारी चल रही थी | लोग कह रह रहे थे कि वह अपने पिछले जन्मों के पापों की आहुति देकर अब मुक्त हो गयी है | यह सब सुन कर जया के भीतर द्वन्द सा चलने लगा | कहते हैं कि अपने ज़माने में गायत्री कभी गुलाब के फूल सी सुन्दर हुआ करती थी | विवाह के बाद ही पता चल गया था कि उसके पति और उसकी जिठानी के बीच प्रेम-प्रसंग है | कुछ दिनों बाद ही उन लोगों ने गायत्री को अपने रास्ते से हटाने के लिए उसे जीते जी अग्नि की भेंट चढ़ा दिया | इस आहुति के ...
रिपोर्ट की समस्या
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