
प्रतिलिपिआज सुबह से ही बहुत तेज बरसात हो रही थी । फुहारें जैसे जैसे तेज हो रही थीं, मेरे माथे की षिकन भी वैसे वैसे गहराती जा रही थी । आज आॅफिस कैसे पहुंॅचूंगी बस यही एक प्रष्न मन में उमड़ घुमड़ रहा था । छुट्टी कर नहीं सकती, मांॅ की बीमारी मे पहले ही 1 सप्ताह की छुट्टी ले चुकी थी । अब छुट्टी की तो सैलरी तो कटेगी ही, डांॅट अलग से पड़ेगी । इसी उधेड़बुन में मैं जल्दी जल्दी सारे काम निबटा कर तैयार हुई । बाहर झांॅका तो खुषी की एक हल्की सी लहर मन में दौड़ गयी । बारिष बहुत ही हल्के झीसों में बदल चुकी थी । ईष्वर की ...
रिपोर्ट की समस्या
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