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आत्महत्या

4.3
881

किसी भी अन्यथा की स्थिति में परिवार की नयी बहू को ही उपालंभ देने की सामाजिक विधा पर प्रहार करती कहानी ।

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लेखक के बारे में
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Ankur Mishra

लिख देता हूं कहानी जब समेट नहीं पाता हूं खुद में खुद को ।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    11 ऑक्टोबर 2019
    बहुत ही बेहतरीन👍👍👌👌
  • author
    Kalpana Singh chauhan
    12 सप्टेंबर 2019
    bht bdhiya
  • author
    Laxmansingh Laxman
    07 ऑगस्ट 2019
    nice story.
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    11 ऑक्टोबर 2019
    बहुत ही बेहतरीन👍👍👌👌
  • author
    Kalpana Singh chauhan
    12 सप्टेंबर 2019
    bht bdhiya
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    Laxmansingh Laxman
    07 ऑगस्ट 2019
    nice story.