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अवगुंठन

4.8
78

इस कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक है । इसका किसी भी व्यक्ति अथवा घटना से कोई संबंध नहीं है । यदि कोई समानता पाई जाती है तो यह महज संयोग होगा । अवगुंठन बहुभोज समाप्त हो चुका था ।मेहमान जहां ...

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लेखक के बारे में
author
Arun Gupta

प्रिय पाठकों, मैं लेखक नहीं हूं,बस अपने व्यस्त दिनचर्या से कुछ समय निकालकर अपनी भावनाओं को चकाचौंध से दूर वास्तविक जीवन के रिमझिम फुहारों,खट्टी मीठी यादों से रुबरु कराते कहानी का सृजन करने की कोशिश कर रहा हूं, जो पाठक को मनोरंजन के साथ साथ उन सामाजिक बंधनों, बुराइयों, कुरीतियों के प्रति जागरूक कर सके तथा मानव मन मनोवैज्ञानिक पक्ष को समझ सके..आशा है आपका साथ हमेशा बना रहेगा ।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anita Rani
    08 जनवरी 2023
    jb rakshak hi esa krenge to kse chalega.very sad
  • author
    खुशबू हरमुख
    03 मई 2023
    बहुत ही मार्मिक कथा 👏👏
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  • author
    Anita Rani
    08 जनवरी 2023
    jb rakshak hi esa krenge to kse chalega.very sad
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    खुशबू हरमुख
    03 मई 2023
    बहुत ही मार्मिक कथा 👏👏