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अब माफी और नहीँ

4.6
173267

बरसती हुई बूंदों को देखती हुई शालिनी बैठी थी--चुप और शांत।कितना कुछ बीत चुका था जीवन में, लेकिन अभी जो बीता-वो अप्रत्याशित था।जीवन के पूरे अध्याय को बिताने के बाद,सब झेलने के बाद क्या सच में इतना ...

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लेखक के बारे में
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Annapurna Mishra

हिंदुस्तानी गृहस्थन

समीक्षा
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  • author
    Uma Mishra
    06 జనవరి 2021
    बहुत ही सुंदर और सही फैसला लिया शालिनी ने।अक्सर स्त्रियां ऐसे फैसले नहीं लेती तभी तो इस तरह कि मानसिकता वाले लोग गलती पर गलतियां करते रहते हैं कि माफी तो मिल ही जाएगी।शालिनी ने और बच्चों ने जो झेला वह बदल नहीं सकता तो अरुण को भी तो तिरस्कृत जीवन जीना ही चाहिए।
  • author
    Prita Singh
    01 జనవరి 2021
    बहुत ही सुन्दर कहानी। ये ठीक है कि क्षमा बहुत ही बड़ी चीज है पर हर भूल क्षमा के लायक नही होती। और ये तो भूल थी ही नही जाना बूझा अपराध व अन्याय था। अब औरत भी पक गयी चूक गयी क्षमा करते करते आखिर सहने की भी कोई सीमा होती है।
  • author
    Sugeeta kumari Sugeeta kumari
    15 జనవరి 2021
    मायके वाले बस शादी करके कर्तव्यों की इतिश्री समझ लेते हैं पति का या ससुराल वालों का व्यवहार खराब हो तो भी लड़की को ही दोषी ठहराया जाता है। ऐसे ही होता है।
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    Uma Mishra
    06 జనవరి 2021
    बहुत ही सुंदर और सही फैसला लिया शालिनी ने।अक्सर स्त्रियां ऐसे फैसले नहीं लेती तभी तो इस तरह कि मानसिकता वाले लोग गलती पर गलतियां करते रहते हैं कि माफी तो मिल ही जाएगी।शालिनी ने और बच्चों ने जो झेला वह बदल नहीं सकता तो अरुण को भी तो तिरस्कृत जीवन जीना ही चाहिए।
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    Prita Singh
    01 జనవరి 2021
    बहुत ही सुन्दर कहानी। ये ठीक है कि क्षमा बहुत ही बड़ी चीज है पर हर भूल क्षमा के लायक नही होती। और ये तो भूल थी ही नही जाना बूझा अपराध व अन्याय था। अब औरत भी पक गयी चूक गयी क्षमा करते करते आखिर सहने की भी कोई सीमा होती है।
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    Sugeeta kumari Sugeeta kumari
    15 జనవరి 2021
    मायके वाले बस शादी करके कर्तव्यों की इतिश्री समझ लेते हैं पति का या ससुराल वालों का व्यवहार खराब हो तो भी लड़की को ही दोषी ठहराया जाता है। ऐसे ही होता है।