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#school ki yaden

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लेखक के बारे में
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Shyam Hardaha

नागपुर(महाराष्ट्र) ( कला, विधि एवं पत्रकारिता में स्नातक) मैं मूलत: पाठक हूं. मुझे भिन्न-भिन्न विचारों-भावों के प्रवाह में बहना और डूबना-उतराना अच्छा लगता है. बहुत अधिक मनो-भावनात्मक दबाव के बीच कभी-कभी लिख भी लेता हूं. प्रगतिशील विचारधारा के कवि-लेखकों में मुंशी प्रेमचंद, राहुल सांकृत्यायन, नागार्जुन, धूमिल, केदारनाथ अग्रवाल, गजानन माधव मुक्तिबोध,शमशेर बहादुर सिंह, राही मासूम रजा, फणीश्वरनाथ ‘रेणु’, कृष्णा सोबती, राजेंद्र यादव, अमृता प्रीतम, मन्नू भंडारी, रामविलास शर्मा आदि प्रगतिशील रचनाकारों ने मुझे गहरे तक प्रभावित किया है. महीने में कम से कम एक स्तरीय पुस्तक पढ़ने के प्रति मैं दृढ़ संकल्पित हूं. (अब तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन) [email protected]

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    05 सितम्बर 2019
    बहुत हिं रोमांचक संस्मरण।बचपन यादों को तरोताज़ा करती आपकी यह रचना ऐसी प्रतीत हुई मानो खुद के बचपन को देख रहा हूँ। पहले के शिक्षक काफी खुले विचार के होते हुए भी जरूरत पर अनुशाशन बनाए रखते थे। इस रचना के कोटिशः बधाई स्वीकारें।🙏
  • author
    10 सितम्बर 2019
    बहुत ही सुंदर पंक्तियां हैं
  • author
    Maithili Singh "Anshu"
    06 सितम्बर 2019
    बहुुत ही मनोरंजक संस्मरण है👌👌
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    05 सितम्बर 2019
    बहुत हिं रोमांचक संस्मरण।बचपन यादों को तरोताज़ा करती आपकी यह रचना ऐसी प्रतीत हुई मानो खुद के बचपन को देख रहा हूँ। पहले के शिक्षक काफी खुले विचार के होते हुए भी जरूरत पर अनुशाशन बनाए रखते थे। इस रचना के कोटिशः बधाई स्वीकारें।🙏
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    10 सितम्बर 2019
    बहुत ही सुंदर पंक्तियां हैं
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    Maithili Singh "Anshu"
    06 सितम्बर 2019
    बहुुत ही मनोरंजक संस्मरण है👌👌