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अनकहा रिश्ता

4.3
55311

बदलते समाज में प्यार के नए दृष्टिकोण , समाज का एक अपरिभाषित रिश्ता......

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लेखक के बारे में
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अजितेश आर्य

स्कूल में कहा प्यार कॉलेज में होता है , कॉलेज ने कहा कैरियर के बाद होता है , कैरियर के बाद तो शादी होती है जनाब, प्यार तो असल में बेवक्त होता है, बेवजह होता है और बेइन्हता होता है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    प्रकृति प्रेम
    19 जून 2019
    कभी पूरी ना हो सकने की इच्छा लिए लेखक जी एक गलत मैसेज समाज में पहुंचा रहे हैं। ये जो एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होते हैं इससे आप खुद को बस चंद पलों की खुशी तो से सकते हैं लेकिन अपने जीवनसाथी को सिवाय धोखे और तकलीफ के कुछ नहीं दे रहे।
  • author
    Pooja Sharma
    12 दिसम्बर 2019
    माफ़ कीजियेगा मैं आपके बात से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। समाज को अपना नजरिया बदल ना पड़ेगा क्योंकि इसमें एक नये रिश्ते की जरूरत एक पुरूष को महसूस हो रही है। लेकिन कितना अच्छा हो कि आपका नायक जैसा अपने लिए महसूस करता हुआ समाज और अपनी पत्नी को दोषी मनाता है। क्या ऐसी मिसाल आप अपनी पत्नी के लिए बने।तो समाज कितना बदला लगे। जितने ध्यान दूसरी औरत की मजबूरी और समझौतों को समझने में लगते हैं उससे आधा समय अपने घर में लगए तो ऐसी कमी उनको महसूस ना हो। पुरूष प्रधान समाज की कहानी
  • author
    16 जून 2019
    सच्चाई को उजागर करती रचना, पर यहां एक सवाल वाकई सोचने वाला है कि ऐसा भी क्या हो जाता है लगभग हर रिश्ते में कि करीब आते आते दिलों की दूरियां इतनी बढ़ जाती हैं जबकि वही रिश्ते दूर दूर रहने पर ताजगी से भरपूर रहते हैं। सच्चाई यही है कि जब इंसान अपनी खुशी बाहर ढूंढने लगता है तो जीवन सिर्फ जिम्मेदारियों का बोझ जैसा रह जाता है।
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    प्रकृति प्रेम
    19 जून 2019
    कभी पूरी ना हो सकने की इच्छा लिए लेखक जी एक गलत मैसेज समाज में पहुंचा रहे हैं। ये जो एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर होते हैं इससे आप खुद को बस चंद पलों की खुशी तो से सकते हैं लेकिन अपने जीवनसाथी को सिवाय धोखे और तकलीफ के कुछ नहीं दे रहे।
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    Pooja Sharma
    12 दिसम्बर 2019
    माफ़ कीजियेगा मैं आपके बात से बिल्कुल सहमत नहीं हूं। समाज को अपना नजरिया बदल ना पड़ेगा क्योंकि इसमें एक नये रिश्ते की जरूरत एक पुरूष को महसूस हो रही है। लेकिन कितना अच्छा हो कि आपका नायक जैसा अपने लिए महसूस करता हुआ समाज और अपनी पत्नी को दोषी मनाता है। क्या ऐसी मिसाल आप अपनी पत्नी के लिए बने।तो समाज कितना बदला लगे। जितने ध्यान दूसरी औरत की मजबूरी और समझौतों को समझने में लगते हैं उससे आधा समय अपने घर में लगए तो ऐसी कमी उनको महसूस ना हो। पुरूष प्रधान समाज की कहानी
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    16 जून 2019
    सच्चाई को उजागर करती रचना, पर यहां एक सवाल वाकई सोचने वाला है कि ऐसा भी क्या हो जाता है लगभग हर रिश्ते में कि करीब आते आते दिलों की दूरियां इतनी बढ़ जाती हैं जबकि वही रिश्ते दूर दूर रहने पर ताजगी से भरपूर रहते हैं। सच्चाई यही है कि जब इंसान अपनी खुशी बाहर ढूंढने लगता है तो जीवन सिर्फ जिम्मेदारियों का बोझ जैसा रह जाता है।