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अच्छा है कि गावों में बिजली नहीं है-अच्छा है कि गावों में बिजली नहीं है

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<p>साधक उम्मेदसिंह बैद की जी ये चुनिंदा कविताओं का संग्रह पाठकों को मुस्कराते हुए सोचने पर बाध्य करता है.</p>

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अच्छा है कि गावों में बिजली नहीं है-कोलकाता बंद
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उम्मेदसिंह बैद "साधक"

कल कोलकाता बंद था। दुकाने बंद, कल कारखाने बंद ट्राम, बस टैक्सी, ट्रक सब बंद लोग सब बंद हो गये घरों में केबल पर चली फिल्में कहीं जमे ताश शतरंज, खाना पीना और सड़कों पर जमी क्रिकेट और फुटबाल अयाचित् ...

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