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संघर्ष-#संघर्ष
सुनीता बिश्नोलिया, "सुनीति जयपुर"
5
'नीलम आजा देर हो रही है, अगर आज भी समय से स्कूल नहीं पहुँचे तो सीमा मैम फिर पूरे ग्राउंड के दो चक्कर लगवायेंगी ' कहती हुए सुनीति धड़धड़ाती नीलम के घर के अंदर पहुँच जाती हैं। नीलम जल्दी-जल्दी आटे ...
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सुनीता बिश्नोलिया, "सुनीति जयपुर" को सब्सक्राइब करें
सहनसिलता को कभी कभी कमजोरी समझा जाता है जबकि दिव्यांग को अधिक प्रेम की आशा होती है
लेकिन
अपनो की उपेक्षा ही आगे बढ़ने की जिद्द पैदा करती है और व्यक्ति सफल भी हो जाता है
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सहनसिलता को कभी कभी कमजोरी समझा जाता है जबकि दिव्यांग को अधिक प्रेम की आशा होती है
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