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संघर्ष-संघर्ष

4.5
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पोलियोग्रस्त लड़की का संघर्ष ...जिला शिक्षा अधिकारी बनने तक

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संघर्ष-#संघर्ष
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सुनीता बिश्नोलिया, "सुनीति जयपुर"
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'नीलम आजा देर हो रही है, अगर आज भी समय से स्कूल  नहीं पहुँचे तो सीमा मैम  फिर पूरे  ग्राउंड के दो चक्कर लगवायेंगी ' कहती हुए सुनीति धड़धड़ाती नीलम के घर के अंदर पहुँच जाती हैं।   नीलम जल्दी-जल्दी आटे ...

लेखक के बारे में

कर्म से अध्यापिका ,हृदय से लेखिका व्यस्त दिनचर्या से लिखने-पढ़ने के लिए समय चुराकर... आशा, विश्वास और सकारात्मक भाव पढ़ती - लिखती हूँ

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ragini Preet
    15 अप्रैल 2019
    बहुत प्रेरक कहानी. कृपया मेरी कहानी "वन का फूल टेसू" और "हौसले की उड़ान" को भी पढ कर अपनी समीक्षा प्रदान करें.
  • author
    संदेश जैन
    14 मई 2020
    सहनसिलता को कभी कभी कमजोरी समझा जाता है जबकि दिव्यांग को अधिक प्रेम की आशा होती है लेकिन अपनो की उपेक्षा ही आगे बढ़ने की जिद्द पैदा करती है और व्यक्ति सफल भी हो जाता है
  • author
    pradeep sharma
    26 अगस्त 2020
    motivational hain aur sahi bhi hain kai nilam hain abhi bhi jo sangharsh kar rahi hain aage badhne ke liye.
  • author
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    Ragini Preet
    15 अप्रैल 2019
    बहुत प्रेरक कहानी. कृपया मेरी कहानी "वन का फूल टेसू" और "हौसले की उड़ान" को भी पढ कर अपनी समीक्षा प्रदान करें.
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    संदेश जैन
    14 मई 2020
    सहनसिलता को कभी कभी कमजोरी समझा जाता है जबकि दिव्यांग को अधिक प्रेम की आशा होती है लेकिन अपनो की उपेक्षा ही आगे बढ़ने की जिद्द पैदा करती है और व्यक्ति सफल भी हो जाता है
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    pradeep sharma
    26 अगस्त 2020
    motivational hain aur sahi bhi hain kai nilam hain abhi bhi jo sangharsh kar rahi hain aage badhne ke liye.