pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

પ્રેમ સાર્થક

4
5

*प्रेम में कोई किसी को रोक ही नहीं सकता।* जिससे तुम प्रेम करते हो, वह भी नहीं रोक सकता तुम्हें प्रेम में। कैसे रोक सकता है? प्रेम तो तुम्हारा दान है। और प्रेम कभी असफल नहीं होता | हो ही नहीं ...