pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

पत्रकार क्यों सोचते हैं कि साहित्य कोई नहीं पढ़ता

5
101

हिंदी के अधिकांश या कहें कि अस्सी प्रतिशत पत्रकारों ने शायद ही आज तक कोई हिंदी के लेखक की कोई कहानी पूरी पढ़ी हो। उन्होंने हंस, ज्ञानोदय, वागर्थ, कथादेश या तद्भव और मंतव्य जैसी किसी पत्रिका का नाम ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति 1 जून 1970 ग्राम सियलपुर तह सिरोंज जिला विदिशा शिक्षा - एम ए बीएड, फिल्म स्क्रिप्ट राइटिंग, इग्नू    प्रकाशन  आजकल, समकालीन भारतीय साहित्य, वागर्थ, कथादेश, हंस, परिकथा, आउटलुक, इंडियाटुडे, दैनिक भास्कर नवभारत, हिंदुस्तान, सहारा समय , लोकमत समाचार, आदि में कहानी कविताएं प्रकाशित।  कई साक्षत्कार राजेंद्र यादव, मैनेजर पांडे , कमलेश्वर, राजेश जोशी, विजय बहादुर सिंह, रमेश चन्द्र शाह  सम्मान  कहानी के लिए राजस्थान पत्रिका का   प्रथम पुरस्कार   कविता के लिए रजा सम्मान    पुस्तकें: कोलाज अफेयर मन का ट्रेक्टर  (कहानी संग्रह शीघ्र प्रकाश्य ) बाल कविताएं संप्रति  कोलाज  कला आर्ट पत्रिका का संपादन   पीपुल्स समाचार भोपाल में कार्यरत    पता - टॉप १२ हाई लाइफ काम्प्लेक्स चर्च रोड जहंगीरा बाद भोपाल  मोबा-9098410010 स्थाई पता  110 , आर एम पी नगर फेस 1 , विदिशा http://ravindraswapnil.blogspot.com www.kavitakoshravindraswapnil.com   

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Kamlesh Patni
    19 दिसम्बर 2018
    हिन्दी हमारी राजभाषा है।हम जैसे हिंदी बोलने और पढने वालों की मातृभाषा है।हमें तो आज भी अपनी भाषा से लगाव और जुड़ाव है। मेरे जैसे बहुत से आज भी हिंदी समाचार पढ़ते हैं सुनते हैं देखते हैं। हिन्दी साहित्य का अपना गौरवशाली स्थान है।
  • author
    Dr. Santosh Chahar "ज़ोया"
    15 अक्टूबर 2018
    विचारणीय।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Kamlesh Patni
    19 दिसम्बर 2018
    हिन्दी हमारी राजभाषा है।हम जैसे हिंदी बोलने और पढने वालों की मातृभाषा है।हमें तो आज भी अपनी भाषा से लगाव और जुड़ाव है। मेरे जैसे बहुत से आज भी हिंदी समाचार पढ़ते हैं सुनते हैं देखते हैं। हिन्दी साहित्य का अपना गौरवशाली स्थान है।
  • author
    Dr. Santosh Chahar "ज़ोया"
    15 अक्टूबर 2018
    विचारणीय।