ये रुत बौराई है१- पत्तों के कोरों सेबूंद बूंद जल झरतातन मन रोमांच भरेअद्भुत वह शीतलता पाकर मकरंद- धूलि बहकी पुरवाई है ये रुत ............... २- अम्बर के सीने परमेघों का मेला है सस्वर खुशियाँ ...

प्रतिलिपिये रुत बौराई है१- पत्तों के कोरों सेबूंद बूंद जल झरतातन मन रोमांच भरेअद्भुत वह शीतलता पाकर मकरंद- धूलि बहकी पुरवाई है ये रुत ............... २- अम्बर के सीने परमेघों का मेला है सस्वर खुशियाँ ...