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" यथा राजा-तथा प्रजा "

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यूँ ही चलते-चलते... "यथा राजा-तथा प्रजा " मुझे पढ़ने वाले जानते हैं कि मैं राजनीतिक परिदृश्य में रुचि रखती हूं....इसके वर्तमान परिस्थितियों का अपने मनोंभावों के अनुसार एक आकलन करती हूं...और इस ...

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Sadhana Mishra

आत्म प्रशंसा नही? आत्म प्रवंचना नहीं? फिर क्या खास है मुझमें? बस एक प्यारा दिल है मुझमें! और कुछ जज्बात हैं मुझमें !! " समिश्रा "

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